हरियाणा सहकारिता विभाग घोटाला 185 करोड़ का:घोटालेबाजों ने रिव्यू रिपोर्ट गायब की; हवाला से दुबई-कनाडा भेजा पैसा, 2005 से रिकॉर्ड खंगाल रही ACB

हरियाणा में सहकारिता विभाग में 100 नहीं 185 करोड़ रुपए का घोटाला है। हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के अधिकारी ऐसा इसलिए मान रहे हैं, क्योंकि घोटालेबाज मास्टरमाइंडों ने इससे जुड़ी रिव्यू रिपोर्ट ही गायब कर दी। इसके बाद अब ACB ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए 2005 से जारी हुई ग्रांट पर फोकस करना शुरू कर दिया है।

अभी तक की जांच में यह भी सामने आया है कि घोटाले के मेन मास्टरमाइंड अनु कौशिश और स्टालिन जीत सिंह ने सरकारी पैसा हवाला के जरिए कनाडा और दुबई भेजा है। दरअसल, सहकारिता विभाग में 2005 के बाद 255 करोड़ रुपए सहकारी समितियों को जारी किए गए।

घोटाले में शामिल समितियों ने 185 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया, लेकिन पैसा कहां और कैसे खर्च किया, इसकी कोई रिपोर्ट विभाग के पास नहीं है। सहकारिता विभाग में साल 1992 से कई स्कीमें चल रही हैं, लेकिन साल 2005 से पैसा जारी हुआ है। ऐसे में रिकॉर्ड से जुड़े कर्मचारी जांच के दायरे में आ सकते हैं।

रिकॉर्ड गायब की एक भी FIR नहीं हुई
ACB ने भी पूछताछ में कई अफसरों से रिकॉर्ड मांगा तो बताया गया कि दस्तावेज नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि इस गायब रिकॉर्ड को लेकर न तो समय पर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया और न ही इसकी कोई FIR दर्ज कराई गई। ऐसे में समितियों में रिकॉर्ड से जुड़े कर्मचारियों को भी ACB केस में शामिल कर सकती है।

ऐसे में ACB और सहकारिता विभाग का पूरा फोकस 2005 से जारी हुए पैसे पर है, लेकिन निचले स्तर पर रिकॉर्ड गायब होने से जांच में काफी दिक्कतें आ रही हैं।

योगेश शर्मा बने जॉइंट रजिस्ट्रार
2017 से एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (ICDP) के नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रहे एडिशनल रजिस्ट्रार नरेश गोयल को बर्खास्त करने के बाद उनकी जगह जॉइंट रजिस्ट्रार योगेश शर्मा को लगाया है। सोनीपत के केंद्रीय सहकारी बैंक के जनरल मैनेजर संजय, करनाल जिला सहकारी समिति के डिप्टी रजिस्ट्रार रोहित गुप्ता व अकाउंट ऑफिसर बलविंद्र को सस्पेंड कर दिया है।

संजय का नाम अंबाला रेंज में दर्ज केस में है। नरेश गोयल को केस में शामिल करने के लिए ACB ने सरकार से मंजूरी मांगी हुई है, क्योंकि पूरी परियोजना की जिम्मेदारी नोडल अधिकारी की ही होती है।

40% रिकॉर्ड डाक्यूमेंट गायब
ACB के सूत्रों का कहना है कि अप्रैल में सहकारिता विभाग में रजिस्ट्रार के पद पर आए IAS राजेश जोगपाल के सामने यह मामला आया तो उन्होंने सितंबर और अक्टूबर में ऑडिट रिव्यू किया। तब खुलासा हुआ कि सहकारी समितियों से 40% रिकॉर्ड गायब है। ऐसे में रजिस्ट्रार ने आदेश दिए थे कि रिकॉर्ड को पूरा किया जाए।

पैसों का लेन-देन बैंकों से हुआ है तो वहां से भी जानकारी लेकर रिकॉर्ड पूरा करने के निर्देश दिए गए। सूत्र बताते हैं कि विभाग में पहले ऑडिट रिव्यू मीटिंग तक नहीं होती थी। दरअसल, ऑडिट रिव्यू में यह पता चलता है कि प्रोजेक्ट के लिए कितना पैसा दिया, कहां कितना खर्च किया और कितना बचा हुआ है। ऑडिट रिव्यू न होने से घोटाला पहले पकड़ में ही नहीं आया था।