व्यास तहखाने में पूजा-पाठ मामले की सुनवाई आज:मुस्लिम पक्ष ने अनुमति मिलने के विरोध में दाखिल की है याचिका, कल 2 घंटे हुई थी बहस

वाराणसी में ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाने की मुस्लिम पक्ष की याचिका पर आज यानी 7 फरवरी को सुनवाई होगी। कल 6 फरवरी को भी इस मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई थी। जिसमें जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने हिंदू और मुस्लिम पक्षों के तर्क सुने। करीब दो घंटे तक बहस चली। जिसके बाद 7 फरवरी की तारीख निर्धारित कर दी गई थी।

दरअसल, इससे पहले 2 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने व्यास तहखाने में तत्काल पूजा रोकने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तहखाने में तत्काल पूजा रोकने की मांग खारिज कर दी थी। इसके साथ ही एडवोकेट जनरल (AG) को वाराणसी में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखने का निर्देश दिया था।

1 फरवरी को व्यास परिवार को पूजा-पाठ का अधिकार मिला था

वाराणसी कोर्ट ने 1 फरवरी को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में व्यास परिवार को पूजा-पाठ का अधिकार दिया था। उसी दिन शाम को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल याचिका दाखिल करते हुए पूजा पर रोक की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए मुस्लिम पक्ष को पहले हाईकोर्ट जाने का सुझाव दिया था।

इसके बाद 2 फरवरी को मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की इसमें तहखाने में तत्काल पूजा पर रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने तत्काल पूजा रोकने से इनकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को तय की थी।

मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया के वकील मुमताज अहमद का कहना है कि व्यास तहखाना मस्जिद का पार्ट है। यह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इसलिए पूजा-पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती। फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन ने कहा कि फैसला न्यायसंगत नहीं है।

31 साल से बंद था व्यास तहखाना

इस तहखाने में 1993 से पूजा-पाठ बंद था।​ यानी 31 साल बाद यहां पूजा-पाठ की इजाजत दी गई थी। कोर्ट ने कहा था कि काशी-विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट बोर्ड पुजारी का नाम तय करेगा। DM सात दिन के अंदर पूजा-पाठ के लिए जरूरी इंतजाम करेंगे। तहखाने के पारंपरिक पुजारी रहे व्यास परिवार के शैलेंद्र व्यास ने याचिका दाखिल कर पूजा-पाठ की इजाजत मांगी थी।

कोर्ट के आदेश के 8 घंटे बाद शुरू हुई थी पूजा

वाराणसी कोर्ट के आदेश के 8 घंटे बाद यानी रात 11 बजे ही तहखाने में स्थापित विग्रह (मूर्ति) की पूजा की गई। भोर में 3:30 बजे मंगला आरती संपन्न हुई। एकाएक रात में शुरू हुई पूजा-पाठ से वहां अफरातफरी मच गई थी। अगले दिन सुबह से बड़ी संख्या में भक्त व्यास तहखाने का दर्शन करने पहुंचे। हालांकि, उन्होंने बैरिकैडिंग से 20 फीट दूर से दर्शन किए।

वाराणसी कोर्ट के आदेश में कहा गया कि व्यास परिवार ब्रिटिश काल से तहखाने में पूजा करता रहा है। ​​​​​​ताजा याचिका भी व्यास परिवार के शैलेंद्र कुमार व्यास ने लगाई थी। कोर्ट के आदेश में तहखाने में पूजा-पाठ करने की अनुमति सिर्फ व्यास परिवार के लिए है।

17 जनवरी को तहखाने का जिम्मा DM को सौंपा

इसके पहले कोर्ट ने 17 जनवरी को तहखाने का जिम्मा DM को सौंप दिया था। कोर्ट के आदेश पर DM ने मुस्लिम पक्ष से तहखाने की चाबी ले ली थी। DM की मौजूदगी में 7 दिन बाद यानी 24 जनवरी को तहखाने का ताला खोला गया था।
25 जनवरी को ASI सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई थी
ज्ञानवापी की ASI सर्वे की रिपोर्ट 25 जनवरी को देर रात सार्वजनिक हुई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, परिसर के अंदर भगवान विष्णु, गणेश और शिवलिंग की मूर्ति मिली हैं। पूरे परिसर को मंदिर के स्ट्रक्चर पर खड़ा बताते हुए 34 साक्ष्य का जिक्र किया गया है। मस्जिद परिसर के अंदर ‘महामुक्ति मंडप’ नाम का एक शिलापट भी मिला है।

ASI ने रिपोर्ट में लिखा कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था, उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। मूलरूप को प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया।

25 जनवरी को ASI सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई थी
ज्ञानवापी की ASI सर्वे की रिपोर्ट 25 जनवरी को देर रात सार्वजनिक हुई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, परिसर के अंदर भगवान विष्णु, गणेश और शिवलिंग की मूर्ति मिली हैं। पूरे परिसर को मंदिर के स्ट्रक्चर पर खड़ा बताते हुए 34 साक्ष्य का जिक्र किया गया है। मस्जिद परिसर के अंदर ‘महामुक्ति मंडप’ नाम का एक शिलापट भी मिला है।

ASI ने रिपोर्ट में लिखा कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था, उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। मूलरूप को प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया।