पूर्वांचल में ओपी राजभर-दारा सिंह चौहान देंगे भाजपा को मजबूती:सत्ता में साथ आकर ‘PDA’ पर किया अटैक, 2022 चुनाव हारते ही सपा से तोड़ा था नाता

पूर्वांचल के दो बड़े नेता ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान मंगलवार को योगी मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। दोनों नेताओं की अपनी जाति के मतदाताओं में प्रभाव माना जाता है। साल 2022 विधानसभा चुनाव से पहले दोनों नेता सपा के साथ थे। सपा की सरकार न बनने पर भाजपा में वापसी की। अब बीजेपी को राजभर और चौहान से पिछड़ी जातियों में बड़ी वोटबैंक की उम्मीद है। भाजपा की रणनीति को पीडीए पर भी अटैक माना जा रहा है।

साल 2019 में बीजेपी की बंपर जीत के बाद भी पूर्वांचल ही वो इलाका था जहां से भाजपा कई सीटें हार गई थी। कई सीटों पर जीत का मार्जिन बेहद कम था। ऐसे में भाजपा जातीय जनाधार वाले नेताओं को अपने साथ रखना चाहती है, जिससे उसके वोटबैंक में इजाफा हो और विपक्ष पर जीत बरकरार रहे। साल 2022 में सपा के शतक का आंकड़ा पार करने में इन दोनों नेताओं का बड़ा रोल माना जाता है।

राजभर और चौहान के सहारे पिछड़ों को साधने की कोशिश
उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल वो इलाका है जहां की राजनीति जाति आधारित कही जाती है। तमाम विकास की योजनाएं राष्ट्रवाद और चेहरे के बाद भी सालों से जीत उसी की हुई जिस दल के पास जातीय वर्चस्व के नेताओं का जमावड़ा रहा। भाजपा को 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के बाद इसका असर साफ दिखा। जब सारी हवा बीजेपी के पक्ष में होने के बाद भी पूर्वांचल की कई सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा।

सबसे पहले जानते हैं सुभासपा का जनाधार
उत्तर प्रदेश में राजभर समाज की आबादी 12 प्रतिशत है जबकि, पूर्वांचल क्षेत्र में राजभर जाति के मतदाता 12 से 22 फीसद हैं। इसी वजह से राजभर वोट बैंक पूर्वांचल के दो दर्जन से अधिक लोकसभा सीटों पर 50 हजार से करीब ढाई लाख तक है। इन सीटों पर हार और जीत का निर्णय राजभर समुदाय के लोग करते हैं। ऐसे में राजभर वोटर्स को अपने पाले में लाकर बीजेपी चुनाव में जीत की जोर आजमाइश में लगी है।

पूर्वांचल की सीटों पर सुभासपा को 2019 में मिले वोट
राजभर समाज का खुद को नेता कहने वाले ओमप्रकाश राजभर का असर लोकसभा चुनाव 2024 के परिपेक्ष्य में पूर्वांचल की 16 सीटों पर व्यापक रूप से दिखता है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की कई सीटों पर सुभासपा को 30 से 40 हजार वोट मिले थे।

घोसी में सबसे अधिक तो गोरखपुर में सबसे कम मिला था वोट

सुभासपा के गाजीपुर के प्रत्याशी को 33877, बलिया में 35900, सलेमपुर में 33568, घोसी में 39860, लालगंज में 17927, चंदौली में 18985, आजमगढ़ में 10078 और बस्ती में 11971 वोट मिले थे। इसके अलावा वाराणसी में 8892, कुशीनगर में 8454, गोरखपुर 4319, देवरिया 4868, राबर्ट्सगंज 4817, और जौनपुर में 5466 वोट मिले थे।

पूर्वांचल में राजभर वोटों की भागीदारी
घोसी में राजभर समाज के 3 लाख 90 हजार वोटर हैं। इसके अलावा गाजीपुर में 2 लाख 60 हजार, बलिया में 2 लाख 40 हजार, चंदौली में 2 लाख 55 हजार, जौनपुर में एक लाख 80 हजार इसके अलावा देवरिया की सलेमपुर सीट पर 3 लाख 40 हजार मतदाता हैं जो राजभर को हर मायने में महत्वपूर्ण बनाते हैं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की सीटों पर ओमप्रकश राजभर एक्स फैक्टर साबित हो सकते हैं।

2022 में 17 सीटों पर लड़ा चुनाव, जीतीं 6
ओमप्रकश राजभर ने पूर्वांचल में विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत को दिखाया। यहां सपा के साथ गठबंधन करने के बाद 6 सीटें सुभासपा ने जीती और सपा ने इस गठबंधन के फायदे से गाजीपुर और आजमगढ़ के साथ ही साथ बलिया में कमल को पूरी तरह खिलने नहीं दिया, लेकिन घोसी उप चुनाव के पहले सपा और सुभासपा के गठबंधन को झटका लगा और वह टूट गया।
पूर्वांचल में चौहान वोटर्स का जनाधार
सीएसडीएस के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कुम्हार/प्रजापति-चौहान की 3 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पूर्वांचल में भी इनकी आबादी काफी अच्छी है। लोकसभा के लिहाज से पूर्वांचल की 8 और विधानसभा के लिहाज से करीब 35 सीटों पर चौहान वोटर्स का ठीक प्रभाव है। ऐसे में दारा सिंह चौहान को अब मंत्री बनाकर बीजेपी चौहान वोटर्स से अपने रिश्ते को मजबूती देने की तैयारी में है। आगमगढ़ गाजीपुर घोसी लालगंज बलिया वाराणसी चंदौली देवरिया कुशीनगर समेत कई सीटों पर चौहान मतदाता बड़ी संख्या में हैं। जो जीत हार को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।