शाहरुख के साथ काम करना चाहते हैं कुणाल मांडेकर:अनिल रुधान के साथ ‘तेरा क्या होगा लवली’ से किया राइटिंग में डेब्यू, रंग भेदभाव पर बेस्ड है कहानी

रणदीप हुड्डा और इलियाना डिक्रूज स्टारर फिल्म ‘तेरा क्या होगा लवली’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। बलविंदर सिंह जंजुआ द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी रंग भेदभाव और दहेज प्रथा पर आधारित है। फिल्म के राइटर कुणाल मांडेकर और को-राइटर अनिल रुधान हैं। फिल्म की कहानी को लेकर कुणाल मांडेकर और अनिल रुधान ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की।

कुणाल मांडेकर ने बातचीत के दौरान बताया कि हमारे समाज में रंग भेदभाव सालों से चला आ रहा है। ये एक बड़ा मुद्दा है जो हम फिल्म के जरिए समाज के सामने लाना चाहते हैं। रंग भेद के अलावा फिल्म में दहेज जैसी कुप्रथा के बारे में भी दिखाया गया है। उन्होंने ये भी बताया कि बतौर राइटर वो शाहरुख खान के साथ भी काम करना चाहते हैं।

फिल्म के कॉन्सेप्ट को लेकर कुणाल ने कहा- मैंने शुरुआत से ही अपने आस-पास इस तरह का माहौल देखा था। समाज में रंगभेद आज भी कुछ जगहों पर कम तो कुछ जगहों पर ज्यादा है। रंगवाद शादी-विवाह के मामले में लड़कियों को सबसे ज्यादा झेलना पड़ता है। यही सोचकर उन्होंने ये कहानी एक ऐसी लड़की के ऊपर लिखी है, जिसके सांवले रंग की वजह से उसे काफी कुछ सहना पड़ता है।

कुणाल ने बताया- मुझे कहानी का आइडिया मिल चुका था। मैंने कहानी फिल्म के को-राइटर अनिल रुधान को सुनाई। इसके बाद हम दोनों ने मिलकर इसपर काम किया। अनिल रुधान ने कहा कि हमारे समाज में दहेज लेना और देना बहुत सामान्य सा हो गया है। जो दहेज नहीं दे सकते हैं, उनको मजबूरी में दहेज देना पड़ता है। क्योंकि इसे रीति-रिवाज जैसा बना दिया गया है।

कुणाल मांडेकर ने इस कहानी का उद्देश्य बताते हुए बताया- इस कहानी का उद्देश्य हर व्यक्ति को यह एहसास कराना है कि केवल दिल का सच्चा रंग मायने रखता है और कुछ नहीं। उन्होंने कहा- समाज में दोनों मुद्दों को दिखाना जरूरी है। क्योंकि इस कुप्रथा के चलते कई लोगों को दबाया जाता है। बहुत से ऐसे लोग हैं, जो सामने आकर इस बारे में बात नहीं कर पाते हैं।

अनिल रुधान ने एक उदाहरण के तौर पर बताया कि जिन घरों में दो बेटियां होती हैं। उनमें से अगर एक सांवली और दूसरी गोरी हो, तो आप वहां भी रंगवाद पाएंगे। सांवली लड़की को बचपन से ही ये महसूस कराया जाएगा कि उसके लिए रिश्ते कम आएंगे। दहेज ज्यादा देना पड़ेगा। उन्होंने कहा- इसी को ध्यान में रखते हुए हमने ये कहानी तैयार की है।

पिता से मिली लिखने की कला- कुणाल मांडेकर

कुणाल ने अपने करियर के शुरुआती दौर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वो नागपुर के रहने वाले हैं। उन्हें लिखने की कला उनके पिता से मिली है। उन्होंने कहा- मेरे पिता को लिखने का बहुत शौक रहा है। शुरुआत में कुणाल न्यूजपेपर में काम करते थे। सोचने और लिखने की कला शुरू से ही अच्छी थी। उन्हें एक व्यक्ति ने मीडिया की पढ़ाई करने की सलाह दी।

यहीं से उनके करियर में अलग मोड़ आया। उन्होंने मीडिया में बतौर एडिटर कई सालों तक काम किया।

लेकिन लिखने का सिलसिला कभी बंद नहीं किया।

कुणाल और अनिल ने बताया कि ये उनकी पहली कहानी थी। उन्होंने पहली बार में जिस डायरेक्टर को कहानी सुनाकर अप्रोच किया, वो कहानी से बहुत इंप्रेस हुए। इस कहानी पर फिल्म बनाने के लिए वो मान गए। कुणाल और अनिल के लिए ये पहली बड़ी सफलता थी।

अनिल रुधान ने बताया कि उन्हें लिखने का शौक बचपन से था। लेकिन उसे किस तरह करियर में लाया जाए। ये समझ नहीं आ रहा था। बहुत सोचने के बाद उन्होंने वीडियो एडिटिंग का कोर्स किया। इत्तेफाक से कुणाल और अनिल की मुलाकत हुई। लिखने का शौक रखने वाली इनकी जोड़ी ने जबरदस्त कहानी तैयार की।