दिल्ली जल बोर्ड केस-पूर्व इंजीनियर और कॉन्ट्रेक्टर कोर्ट में पेश:अदालत ने ED को निर्देश दिया- सभी आरोपियों को चार्जशीट की कॉपी दी जाए

जल बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में गुरुवार कोर्ट में पूर्व चीफ इंजीनियर और कॉन्ट्रेक्टर को पेश किया गया। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को आदेश दिया कि वो सभी आरोपियों को चार्जशीट की कॉपी दे।

जल बोर्ड के पूर्व चीफ इंजीनियर जगदीश आरोड़ा और कॉन्ट्रेक्टर अनिल अग्रवाल अभी ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। इनके अलावा एक अन्य आरोपी तेजिंदर सिंह को भी अदालत में पेश किया गया। चौथे आरोपी NBCC के पूर्व जनरल मैनेजर डीके मित्तल ने अदालत में अर्जी दी कि उन्हें आज पेश होने से छूट दे दी जाए।

चार्जशीट पर कोर्ट ने कहा था- आरोपियों के खिलाफ काफी सबूत

कोर्ट ने 3 अप्रैल को ED की चार्जशीट पर एक्शन लेते हुए आरोपी देवेंदर मित्तल और तेजिंदर पाल सिंह को हाजिर होने का आदेश दिया था। इनके अलावा आरोपी जगदीश अरोड़ा और अनिल अग्रवाल को भी कोर्ट में पेश करने का नोटिस जारी किया गया। कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ केस चलाने काफी सबूत मौजूद हैं।

गुरुवार को स्पेशल जज भूपिंदर सिंह ने कहा चार्जशीट से लगता है कि सभी आरोपी व्यक्ति/कंपनी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जल बोर्ड टेंडर घोटाले में शामिल रहे हैं। जिसके आधार पर इन पर मुकदमा चलाया जा सकता है।

ED ने 4 आरोपियों के खिलाफ दायर की है चार्जशीट
प्रवर्तन निदेशालय ने 30 मार्च को जल बोर्ड केस में पहली चार्जशीट दाखिल की थी। मामला दिल्ली जल बोर्ड के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटरों की खरीदी से जुड़ी टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं का है। इसमें एक कंपनी और 4 लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। ED ने CBI के मामले के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है।

चार्जशीट में जल बोर्ड के पूर्व इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा, कॉन्ट्रेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल, NBCC इंडिया लिमिटेड कंपनी के पूर्व जनरल मैनेजर डीके मित्तल, NKG इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और तेजिंदर सिंह को आरोपी बनाया गया है।

ED ने यह भी दावा किया है कि दिल्ली जल बोर्ड ने ठेका देने में भ्रष्टाचार किया और घूस की रकम आम आदमी पार्टी को इलेक्शन फंड के तौर पर दी गई।

क्या है दिल्ली जल बोर्ड टेंडर घोटाला
ED के मुताबिक 15 दिसंबर 2017 को दिल्ली जल बोर्ड में इलेक्ट्रोमैग्नेट फ्लो मीटर के लिए मेसर्स एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 5 साल के ऑपरेशन के लिए ठेका दिया गया था। इसमें सप्लाई, इंस्टालेशन, टेस्टिंग और कमिशनिंग भी शामिल थी।

ठेके की कुल कीमत 24 करोड़ से ज्यादा थी। जिस कंपनी को ठेका दिया, वह मानदंडों को पूरा नहीं करती थी। इसके बदले आरोपियों ने एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और मेसर्स इंटीग्रल स्क्रूज इंडस्टरीज से तीन करोड़ रुपए लिए थे।

एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने अपना ठेका अनिल अग्रवाल की फर्म मेसर्स इंटीग्रल स्क्रूज लिमिटेड को दे दिया था।