वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के दक्षिणी तहखाने में पूजा पाठ और स्थापित प्रतिमाओं के दर्शन पूजन पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला देगा। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख कर रही अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर आज विशेष सुनवाई होगी।
हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में दोनों पक्ष अपना लिखित जवाब दाखिल करेंगे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्दीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ मामले को सुनेगा।
ज्ञानवापी मामले पर व्यास परिवार की ओर से जिला न्यायालय में जो आवेदन दिया गया था, उस पर 31 जनवरी 2024 से ‘व्यास तहखाना’ में पूजा करने की अनुमति दी गई थी। उसके खिलाफ मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में गया और हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया। अंजुमन इंतजामिया इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आया था।
आज दोपहर ज्ञानवापी की अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसमें विवादित ढांचे के दक्षिणी छोर पर स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-अर्चना करने की अनुमति देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।
इस याचिका में 26 फरवरी के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पूजा-अर्चना पर रोक लगाने की मांग की है। एक अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इस केस में नोटिस जारी किया था, जिस पर 30 अप्रैल को अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया था, साथ ही साथ पूजा जारी रखने की बात भी कही थी।
एक अप्रैल को CJI ने सुनी थी याचिका
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस जेबी पार्दीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ वाराणसी में कथित ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख कर रही अंजुमन मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर एक अप्रैल को सुनवाई की थी।
याचिका को स्वीकार करते हुए दोनों पक्षों की बहस सुनी, दलीलों के बीच जज ने भी तहखाना और पूजा पाठ से जुड़े सवाल किए। मुस्लिम पक्ष की दुश्वारियां भी जानी और हिन्दू पक्ष की बात भी सुनी। इस याचिका में 26 फरवरी को हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पूजा-अर्चना पर रोक लगाने की मांग हुई थी।
मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी का दावा है कि तहखाना दक्षिण में है और मस्जिद जाने का रास्ता उत्तर में है। इस पर बेंच ने कहा कि नमाज पढ़ने जाने के लिए और पूजा पर जाने के लिए रास्ता अलग-अलग है तो ऐसे में हमारा मानना है कि दोनों पूजा पद्धति में कोई बाधा नहीं होगी।
हिंदू पक्ष का दावा जानिए
हिंदू पक्ष ने कहा है कि 1993 तक सोमनाथ व्यास का परिवार मस्जिद के तहखाने में पूजा-पाठ करता था, इसके बाद सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। हिंदू पक्ष का यह दावा शामिल है कि उस जमीन पर एक प्राचीन मंदिर था, जिसका एक हिस्सा 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासन के दौरान नष्ट कर दिया गया था।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद नोटिस जारी किया था और 30 अप्रैल तक अपना जवाब मांगा था। हम आज अपना पक्ष दाखिल करेंगे और कोर्ट हमें इस मामले में न्याय देगा। एएसआई सर्वे और तमाम रिपोर्ट ने भी ज्ञानवापी स्थल में मंदिर होने की पुष्टि की है, तहखाना में वर्षों से पूजा पाठ होता था जो बीच में रुक गया लेकिन पूजा आरती अनवरत है।
हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 26 फरवरी को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति देने वाले जिला अदालत के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया और कहा है कि मस्जिद की इमारत पर हमेशा से मुसलमानों का कब्जा रहा है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने यह फैसला दिया था।
31 जनवरी को आया था पूजा करने का आदेश
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल से पहले की है और समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं। वाराणसी जिला अदालत ने 31 जनवरी के अपने आदेश में पुजारियों को ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों की पूजा करने की अनुमति दी थी। इसके बाद 1 फरवरी की आधी रात को मस्जिद परिसर में धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया था। बाद में दक्षिणी तहखाना भक्तों के लिए खोल दिया गया।