जिस शीबा के लिए 3 मर्डर, 10 को उम्रकैद…उसकी कहानी:दुबई में कारोबार, 16 साल पहले मेरठ के कारोबारी से प्यार, 6 महीने पहले इंडिया लौटी

16 साल बाद जिला जज की अदालत से गुदड़ी बाजार ट्रिपल मर्डर केस में फैसला आया। 14 दोषी करार दिए गए, 10 को उम्रकैद की सजा हुई। इनमें शीबा भी शामिल है। इश्क, साजिश और तीन दोस्तों के मर्डर की इस कहानी में शीबा मुख्य किरदार है।

शीबा किसी साधारण परिवार से नहीं, बल्कि आर्मी फैमिली बैकग्राउंड से है। उसके पिता सेना में कर्नल रहे, पति आर्मी में कैप्टन थे। वह दुबई में गारमेंट का कारोबारी करती थी। दिल्ली में पति से अलगाव होने के बाद शीबा मेरठ लौट आई। 2005 में शीबा का अफेयर पश्चिम यूपी के टॉप-5 में शुमार मीट कारोबारी इजलाल से हुआ।

शीबा के उकसाने पर ही इजलाल ने 3 लोगों को तलवार से काट दिया था। काटने से पहले उसने तीनों के आंखें फोड़ डाली थी। शीबा के वकील का दावा है कि मर्डर केस से लेकर इंडिया वापस आने तक शीबा ने दोबारा कभी इजलाल से मुलाकात नहीं की।

इजलाल शादीशुदा शीबा से मोहब्बत करता था। दूसरी तरफ, सुनील ढाका भी शीबा को दिल दे बैठा। शीबा सुनील से बातचीत करती थी। सुनील ने उससे कहा – तुम इजलाल से यारी तोड़ दो, मेरे साथ रहो। शीबा मीट कारोबारी इजलाल की दौलत पर फिदा थी। वो उसे छोड़ना नहीं चाहती थी।

इसलिए शीबा ने इजलाल को एक रोज अपने घर बुलाया। जहां उसने इजलाल को सुनील और 2 दोस्तों के बारे में बताया। शिकायत करते हुए कहा- ये मुझे तुमसे दूर करना चाहते हैं। तभी इजलाल ने सोच लिया कि तीनों को इस दुनिया से दूर कर देगा।

शीबा पर अदालत में इजलाल को कत्ल के लिए उकसाने के आरोप सिद्ध हुए। मामले में शीबा ने 2 साल जेल भी काटी। बाद में जमानत पर बाहर आ गई। अब कोर्ट ने शीबा को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी। ये भी अहम है कि सिर्फ एक ढाबा संचालक की गवाही पर कोर्ट ने शीबा को दोषी माना है।

प्रिंसिपल मां की बेटी है शीबा
शीबा की परवरिश एक पढ़े-लिखे और संपन्न परिवार में हुई। शीबा के पिता सेना में कर्नल थे। मां मंजू पब्लिक स्कूल में प्रिंसिपल थीं। शीबा के पिता की काफी पहले ही मौत हो गई थी। शीबा केवल दो बहनें हैं। वह बड़ी है। मां मंजू ने ही दोनों बेटियों को पब्लिक स्कूल में पढ़ाया और हर खुशी देते हुए पाला। मां शीबा को पिता की तरह फौज में भेजना चाहती थी।

कैप्टन से शादी और 2 साल में तलाक
मां ने बेटी के भविष्य को देखते हुए शीबा की शादी सेना में कैप्टन से करा दी। शादी के बाद शीबा दिल्ली में पति के साथ रहने लगी। जबकि शीबा की छोटी बहन की शादी मेरठ के एक बड़े व्यापारिक घराने में हुई। जिनका मेरठ में बड़ा नाम है। शादी के बाद शीबा 2 साल पति के साथ रही। दोनों के कोई बच्चा नहीं हुआ।

2005 में मीट कारोबारी इजलाल से पहली मुलाकात
फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली शीबा की मुलाकात 2005 में आबूलेन पर मीट कारोबारी इजलाल से हुई थी। यहीं राजमहल होटल के पास शीबा-इजलाल की पहली मुलाकात हुई। उस समय इजलाल वेस्ट यूपी का सबसे बड़ा मीट कारोबारी था। जिसका सालाना कारोबार 1400 करोड़ से ज्यादा था। महंगी पार्टी, शराब और अय्याशी का शौकीन इजलाल शीबा को दिल दे बैठा।

शुरुआत में इजलाल ने अपनी गाड़ी से शीबा का पीछा किया था। उसके कुछ दिन शीबा, इजलाल दोबारा मिले तो दोनों में दोस्ती हुई। तब शीबा गंगानगर इलाके की राधा गार्डन कालोनी में मां के साथ रहती थी। इजलाल ने शीबा की मदद उसके पति से तलाक कराने में भी की थी।​​​​

VIP लाइफ जीता था इजलाल
इजलाल अय्याशी, महंगी विदेशी शराब, ब्रांडेड घड़ी, लग्जरी गाड़ियों और लेट नाइट पार्टीज का शौकीन था। मीट कारोबार से उसके पास बेहिसाब दौलत थी। वह दोस्तों के साथ देर रात तक हापुड़ रोड पर कोल्ड स्टोर में बनाए शानदार फार्म के पूल में पार्टी करता।

अरबों का मालिक इजलाल कुरैशी VIP लाइफ एंजाय करता था। मीट के अलावा उसके कई और कारोबार थे। पैसों की कमी नहीं थी। ताऊ के बेटे शाहिद अखलाक मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से सांसद थे। इसी दौलत-शोहरत के चलते इजलाल जुर्म के रास्ते पर चल गया। इजलाल अक्सर अपने गुर्गों के साथ शीबा के घर गंगानगर में आता। यहां देर तक बैठता था।

इजलाल ने पुलिस को अपने बयानों में बताया था कि शीबा ने ही उसे उकसाया था कि वो सुनील ढाका, सुधीर उज्जवल और पुनीत गिरी के दिमाग क्यों ठिकाने नहीं लगाता। ये लोग उसे परेशान करते हैं और उनके संबंधों में अड़चन बन रहे हैं। शीबा की इस बात को वह टाल नहीं सका और तीनों की हत्या कर दी। इजलाल के इसी बयान को आधार बनाकर शीबा को पुलिस ने मुकदमे में मुल्जिम बनाया था।

हत्याकांड में नाम आने के बाद शीबा ने अपना गंगानगर का मकान बेचा और दिल्ली में फ्लैट खरीदकर रहने लगी। इसके बाद पुलिस ने शीबा को पकड़कर जेल भेज दिया।

VIP लाइफ जीता था इजलाल
इजलाल अय्याशी, महंगी विदेशी शराब, ब्रांडेड घड़ी, लग्जरी गाड़ियों और लेट नाइट पार्टीज का शौकीन था। मीट कारोबार से उसके पास बेहिसाब दौलत थी। वह दोस्तों के साथ देर रात तक हापुड़ रोड पर कोल्ड स्टोर में बनाए शानदार फार्म के पूल में पार्टी करता।

अरबों का मालिक इजलाल कुरैशी VIP लाइफ एंजाय करता था। मीट के अलावा उसके कई और कारोबार थे। पैसों की कमी नहीं थी। ताऊ के बेटे शाहिद अखलाक मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से सांसद थे। इसी दौलत-शोहरत के चलते इजलाल जुर्म के रास्ते पर चल गया। इजलाल अक्सर अपने गुर्गों के साथ शीबा के घर गंगानगर में आता। यहां देर तक बैठता था।

इजलाल ने पुलिस को अपने बयानों में बताया था कि शीबा ने ही उसे उकसाया था कि वो सुनील ढाका, सुधीर उज्जवल और पुनीत गिरी के दिमाग क्यों ठिकाने नहीं लगाता। ये लोग उसे परेशान करते हैं और उनके संबंधों में अड़चन बन रहे हैं। शीबा की इस बात को वह टाल नहीं सका और तीनों की हत्या कर दी। इजलाल के इसी बयान को आधार बनाकर शीबा को पुलिस ने मुकदमे में मुल्जिम बनाया था।

हत्याकांड में नाम आने के बाद शीबा ने अपना गंगानगर का मकान बेचा और दिल्ली में फ्लैट खरीदकर रहने लगी। इसके बाद पुलिस ने शीबा को पकड़कर जेल भेज दिया।

दुबई में बिजनेस चला रही थी शीबा
इजलाल को हत्याकांड के लिए उकसाने में आरोपी बनी शीबा जेल गई। कुछ समय बाद वह हाईकोर्ट से स्टे लेकर आई, जिसके चलते कुछ महीने बाद जमानत मिल गई थी। जेल से छूटने के बाद शीबा अपनी मां के पास दुबई चली गई।

वहीं उसने अपना गारमेंट का बिजनेस शुरू कर दिया। शीबा अपना बिजनेस संभाल रही थी। शीबा की मां मंजू पहले से ही दुबई में रहती थी। 2023 में मुकदमा ट्रायल पर आने के बाद शीबा को कोर्ट में बुलाया जाने लगा। 6 महीने पहले वह दुबई से लौटकर इंडिया आई।

केस में नामजद होने के बाद शीबा इजलाल से कभी नहीं मिली
ट्रिपल मर्डर केस में नामजद होने के बाद शीबा ने इजलाल से कभी मुलाकात नहीं की। शीबा के वकील जगत सिंह ने कहा- 6 महीने पहले ही शीबा दुबई से लौटकर दिल्ली आई थी। इस समय दिल्ली में रहकर नोएडा की कंपनी में नौकरी करती थी। उसने मुकदमा और इंडिया वापस आने के बाद भी कभी इजलाल से मिलने की कोशिश नहीं की।