पिछले 30 साल से बेजुबान बनी रही एक महिला मरीज ने 30 साल बाद मुंह खोला है। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग इलाज के लिए डेढ़ महीने पहले ही भर्ती कराई गईं आस्था मोंगिया के साथ डॉक्टरों के लिए यह किसी चमत्कार की तरह है। बता दें कि आस्था मोंगिया दिल्ली के पंजाब नेशनल बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत थीं और पिछले 30 साल से मुंह से एक शब्द भी नहीं बोल पाई थीं।
सर गंगाराम अस्पताल के मुताबिक, आस्था मोंगिया जन्मजात विकार से पीड़ित थी। उसके जबड़े की हड्डी मुंह के दोनों तरफ से खोपड़ी की हड्डी से जुड़ गई थी। इसके चलते आस्था मोंगिया अपना मुंह तक नहीं खोल पाती थीं, बोलना तो दूर की बात है। यहां तक कि वह अपनी अंगुली से अपनी जीभ तक को नहीं छू पाती थीं। वह पिछले 30 साल से सिर्फ तरल पदार्थ पर जिंदा थी। मुंह नहीं खुलने से, दांतों में इनफेक्शन के कारण उनके कुछ ही दांत रह गए थे। यहां तककि एक आंख से देख भी नहीं सकती हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि उसका पूरा चेहरा ट्यूमर की खून भरी नसों से भरा हुआ था। इसकी वजह से कोई भी अस्पताल सर्जरी के लिए तैयार नहीं था। परिवार भारत के अलावा ब्रिटेन और दुबई के बड़े अस्पतालों में भी गया, लेकिन सभी जगह से मना कर दिया गया।
डॉ. राजीव आहूजा (सीनियर प्लास्टिक सर्जन, डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी, सर गंगा राम अस्पताल) के अनुसार, जब हमने मरीज आस्था मोंगिया को देखा तो परिवार को बताया कि सर्जरी बहुत ही जटिल है और अत्यधिक रक्तस्राव से ऑपरेशन टेबल पर मौत भी हो सकती है। इसके बाद परिवार के हामी भरने पर हमने प्लास्टिक सर्जरी, वैस्कुलर सर्जरी एवं रेडियोलॉजी विभाग की टीम बुलाई और बहुत विचार विमर्श करने के बाद इस जटिल सर्जरी को अंजाम देने का फैसला किया। इस जटिल सर्जरी के लिए टीम का नेतृत्व डॉ. राजीव आहूजा द्वारा किया गया था और इसमें डॉ. रमन शर्मा और डॉ. इतिश्री गुप्ता (प्लास्टिक सर्जरी), डॉ. अंबरीश सात्विक (वैस्कुलर एंड एंडोवस्कुलर सर्जरी) और डॉ. जयश्री सूद और डॉ. अमिताभ (एनेस्थीसिया टीम) का सहयोग रहा। वहीं, ऑपरेशन से 3 हफ्ते पहले मरीज़ के चेहरे पर एक खास इंजेक्शन (स्क्लेरोसैंट) लगाया गया, जिससे खून से भरी नसें थोड़ी बहुत सिकुड़ जाती है।
20 मार्च 2021 को मरीज़ को ऑपेरशन थिएटर ले जाया गया। सबसे पहले धीरे-धीरे ट्यूमर की नसों को बचाते हुए डॉक्टर मुंह के दाहिने हिस्से में पहुंचे जहां जबड़ा खोपड़ी से जुड़ गया था। फिर उसको काटकर अलग कर दिया गया। इसी तरह से बायें हिस्से में भी जुड़े हुए जबड़े को अलग किया। यहां जरा सी गलती से अगर ट्यूमर की नस कट जाती तो मरीज़ की ऑपरेशन थिएटर में ही मौत हो सकती थी। पूरी तरह से सफल ऑपरेशन में 3 घंटे 30 मिनट का समय लगा। ऑपरेशन टेबल पर मरीज़ का मुंह 2 घंटे 30 मिनट सेंटीमीटर खुल चुका था। फिर 25 मार्च 2021 को आस्था की जब अस्पताल से छुट्टी की गई तो उसका मुंह 3 सेंटीमीटर खुल चुका था। एक सामान्य व्यक्ति का मुंह 4 से 6 सेंटीमीटर खुलता है।
डॉ. राजीव आहूजा ने बताया कि अभी मुंह की फिजियोथेरेपी एवं व्यायाम से उसका मुंह और ज्यादा खुलेगा। वहीं, हेमंत पुष्कर मोंगिया (मरीज के पिता) के अनुसार, मेरी बेटी ने पिछले 30 वर्षों में बहुत कष्ट झेला है, उसका मुंह इतना भी नहीं खुलता था कि वह अपनी जीभ को हाथ से छू भी नहीं सकती। अब सफल सर्जरी के बाद वह न केवल अपना मुंह खोल सकती है, बल्कि अपनी जीभ को भी छू सकती है। वह अब सामान्य तरीके से बातचीत कर सकती है। वहीं, 30 साल बाद अपना मुंह खोलते हुए आस्था मोंगिया ने कहा कि इस दूसरे जन्म के लिए मैं भगवान और डॉक्टरों का धन्यवाद करती हूं।