इंडियन मुजाहिदीन के चार आतंकियों को 10 साल की सजा:भारत के खिलाफ साजिश रचने के दोषी; NIA ने 2012 में केस दर्ज किया था

दिल्ली की NIA कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के चार आतंकियों दानिश अंसारी, आफताब आलम, इमरान खान और ओबैद उर रहमान को 10 साल कैद की सजा सुनाई है।

सोमवार को कोर्ट ने इन्हें भारत के खिलाफ साजिश रचने का दोषी करार दिया था। चारों को IPC की धाराओं के साथ ही गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की विभिन्न धाराओं में दोषी पाया गया था।

कोर्ट ने यह कहते हुए आदेश पारित किया कि आरोपियों ने 7 जुलाई को अपना दोष स्वीकार कर लिया था। NIA ने सितंबर 2012 में इनके खिलाफ केस दर्ज किया था।

इससे पहले कोर्ट ने 31 मार्च को कहा था कि चारों दोषी इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े हैं। इस संगठन पर भारत के कई हिस्सों में आतंकी घटनाओं की साजिश रचने का आरोप है।

बम धमाकों के लिए भर्तियां कीं
दोषियों ने आपराधिक साजिश के लिए भारत के अलग-अलग हिस्सों, खासकर दिल्ली में बम धमाकों और आतंकवादी गतिविधियों के लिए बड़े पैमाने पर नए सदस्यों की भर्ती की। इसमें पाकिस्तान स्थित सहयोगियों के साथ-साथ स्लीपर सेल की मदद और उनका सहयोग शामिल था।

विदेशों से पैसा मिल रहा था
इन्हें अपनी आतंकवादी गतिविधियों के लिए हवाला चैनलों के जरिए विदेशों से पैसा मिल रहा था। दोषी बाबरी मस्जिद विध्वंस, गुजरात दंगों और मुसलमानों के खिलाफ हुईं घटनाओं के बारे में मुस्लिम युवकों को बताते थे ताकि उनमें कट्टरपंथी सोच पैदा की जा सके।

इन चारों के खिलाफ भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने, युद्ध छेड़ने की योजना को छिपाने के तहत धाराएं लगाई गई थीं।

क्या है इंडियन मुजाहिदीन
इंडियन मुजाहिदीन को जानने से पहले SIMI यानी स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया को जानना जरूरी है। SIMI 1997 में बना अलीगढ़, UP में, लेकिन इसने अपना प्रमुख केंद्र दक्षिण भारत को बनाया। SIMI पर 2001 में आतंकी गतिविधियों के लिए बैन लगा दिया गया।

इंडियन मुजाहिदीन SIMI की ही शाखा
2007 में कर्नाटक के भटकल में बने इंडियन मुजाहिदीन यानी IM को SIMI की शाखा माना जाता है। IM को 2010 में UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया था।

इसके तार बांग्लादेशी आतंकी संगठन हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी या हूजी और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से भी जुड़े हैं। IM ने दक्षिण भारत में जिहादी तैयार करने और आतंकवाद फैलाने का काम किया। IM का नाम देशभर में हुए कई ब्लास्ट में सामने आया था।

भारत में कट्टरपंथ की शुरुआत
दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाने से 3 साल पहले 1989 में इस्लामिक धर्मगुरु अब्दुल नसीर मदनी ने केरल में खुद को सांस्कृतिक संगठन बताते हुए इस्लामिक सेवक संघ यानी ISS बनाया।

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के एक हफ्ते बाद पुलिस ने केरल के सस्थामकोट्टा में एक केस दर्ज किया। जिसमें ISS पर एक गुप्त बैठक करने का आरोप था। इस बैठक का एजेंडा मस्जिद गिराने के खिलाफ मुस्लिमों को बड़े पैमाने पर भड़काना था।

पुलिस ने इस बैठक के दौरान देसी पिस्तौल, 1.4 किलो बारूद, हथियार, मेटल डिटेक्टर, ISS के नोटिस और पैम्फलेट्स बरामद किए थे। इसके बाद सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के आरोप में ISS सहित 5 और मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों पर बैन लगा दिया था।

खाड़ी देशों में कट्टरपंथ के प्रभाव में आ जाते हैं दक्षिण भारतीय
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ऐसे कई देश हैं, जो कट्टर इस्लाम के प्रभाव को फैलाने के लिए फंड देते हैं। खाड़ी देशों में इस तरह के ज्यादातर संस्थान हैं। वहां करीब 85 लाख भारतीय रहते हैं। हर साल खाड़ी देशों को जाने वाले भारतीयों में से करीब 30% केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होते हैं। धीरे-धीरे वे कट्टर इस्लाम के प्रभाव में आ जाते हैं।

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से कट्टरपंथ का प्रोपेगैंडा फैलाना आसान
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे-ट्विटर, टेलीग्राम और डार्क वेब के जरिए कट्टरपंथियों के लिए अपना प्रोपेगैंडा फैलाना आसान हो गया है। दक्षिण भारत के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे हैं और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में आगे हैं। यानी सोशल मीडिया तक उनकी पहुंच भी बेहतर है।

ऐसे में दक्षिण भारतीयों के बीच कट्टरपंथ तेजी से फला-फूला और वहां से दूसरे राज्यों में भी फैलता गया।

देश में सबसे ज्यादा साक्षरता दर वाला राज्य केरल है। 2011 की जनगणना के अनुसार केरल की साक्षरता दर 93% से ज्यादा थी। वहीं तमिलनाडु की साक्षरता दर 80% से ज्यादा थी। ये प्रमुख उत्तर भारतीय राज्यों जैसे-उत्तर प्रदेश (69.7%), पंजाब (76.7%), बिहार (63.8%) और राजस्थान (67.1%) से बेहतर है।