बेमौसम बारिश के कारण फसल खराब होने की खबरों के बीच मंडियों में कम आवक होने से सोमवार को महानगरों में टमाटर का खुदरा मूल्य उछलकर 93 रुपये किलो तक पहुंच गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महानगरों में, कोलकाता में टमाटर 93 रुपये प्रति किलो, चेन्नै में 60 रुपये प्रति किलो, दिल्ली में 59 रुपये किलो और मुंबई में 53 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सोमवार को बेचा गया। इसी तरह आलू की कीमतें भी जोर पकड़ रही हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि आलू और टमाटर का बफर स्टॉक रिलीज कर दिया गया है, जिससे कीमतें धीरे-धीरे नीचे आएंगी।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जिन कुछ शहरों में टमाटर कीमतों का जायजा लिया गया, उनमें 175 शहरों में से 50 से अधिक शहरों में टमाटर की खुदरा कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा थी। थोक बाजारों में भी, कोलकाता में टमाटर 84 रुपये प्रति किलो, चेन्नै में 52 रुपये किलो, मुंबई में 30 रुपये किलो और दिल्ली में 29.50 रुपये किलो के भाव से बिक रहा है।
नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के अनुसार, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक देश, भारत, 7.89 लाख हेक्टेयर के भू-क्षेत्र में लगभग 25.05 टन प्रति हेक्टेयर की औसत उपज के साथ लगभग एक करोड़ 97.5 लाख टन टमाटर का उत्पादन करता है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश के कारण फसल को हुए नुकसान के बीच मंडियों में कम आवक होने के कारण टमाटर की कीमतों में तेजी आई है। मुंबई में, टमाटर की आवक 16 अक्टूबर को कम यानी 241 टन ही थी, जबकि एक सप्ताह पहले 290 टन की आवक हो रही थी। दिल्ली में यह आवक 528.9 टन और इसी तारीख को कोलकाता में 545 टन रही।
दिल्ली के करोलबाग कॉलोनी के एक सब्जी बेचने वाले शिवलाल यादव ने कहा, ‘‘हमें बारिश के कारण मंडी से ही अच्छे टमाटर नहीं मिल रहे हैं। उपभोक्ता अच्छे टमाटर चुनते हैं और सड़े हुए रह जाते हैं जिससे हमें नुकसान होता है। इसलिए, हम उस नुकसान को भी ठीक करने के लिए दरों को इस तरह रखते हैं।’’
मौजूदा वक्त में, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में टमाटर की तुड़ाई चल रही है। पिछले हफ्ते, आजादपुर टमाटर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कौशिक ने कहा था कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश ने फसल को नुकसान पहुंचाया है, जिससे दिल्ली जैसे उपभोक्ता बाजारों में आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस वजह से थोक और खुदरा बाजारों में इस सब्जी के कीमतों में वृद्धि हुई है। टमाटर की फसल बोने के लगभग 2-3 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। फसल की तुड़ाई बाजार की आवश्यकता के अनुसार की जाती है।