Kisan Andolan: 11 महीने बाद भी बंधक बने हुए हैं हजारों लोग, किसान बोले ‘लगता है जैसे अपहरण हो गया है’

दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (सिंघु, शाहजहांपर, टीकरी और गाजीपुर) पर तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों पूरी तरह से वापस लेने की मांग को लेकर  किसानों का धरना धरना प्रदर्शन  जारी है। दिल्ली-हरियाणा का सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) भी पिछले 11 महीने से किसानों की जिद की वजह से बंद है। प्रदर्शनकारियों ने अपने टेंट हाईवे पर लगा लिए हैं। उनको दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने भी बैरिकेडिंग कर रखी है। इससे क्षेत्र के लोग परेशान हैं। ग्रामीणों ने रविवार को पंचायत करके सरकार से बार्डर खाली कराने की मांग की।

बैठक में पांच गांवों के ग्रामीण एकत्र हुए। ग्रामीणों ने पंचायत में कहा कि सरकार ने कानून बनाया है। प्रदर्शन करने वाले उससे इत्तफाक नहीं रखते हैं। उसका खामियाजा क्षेत्र के दो दर्जन से ज्यादा गांवों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। क्षेत्र के उद्योग धंधों पर ताले लटके हैं। किसान अपनी खेती विधिवत नहीं कर पा रहे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अन्य स्थानों के बार्डर खोल दिए गए हैं। ऐसे में कुंडली बार्डर क्षेत्र के ग्रामीणों को बंधक बनाए रखना न्यायसंगत नहीं है। बैठक में रमेश कुमार, देवकांत, प्रदीप, सतीश मौजूद रहे। राजन, संजू, सुखबीर सिंह ने बताया कि ग्रामीणों के अलावा उद्यमी, व्यापारी, मजदूर सभी को राहत मिल सके इसलिए जीटी रोड प्रदर्शनकारियों से प्रशासन जल्द मुक्त करवाएं।

वहीं, कुछ ग्रामीणों का यहां तक कहना है कि दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर जिस तरह से किसानों ने नाकेबंदी कर ऱखी है, जिससे तो यही महसूस होता है कि जैसे हम बंधक बने हुए हैं। इससे हमारी दिनचर्या और काम काज तक प्रभावित है।

उधर, एक अन्य ग्रामीण का कहना है कि पिछले 11 महीने से हम नर्क जैसी जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे लगता है कि जैसे प्रदर्शनकारी किसानों ने हमारा अपहरण कर लिया है और हम गुलामों जैसी जिंदगी जी रहे हैं।