एक साल से लापता दिल्ली सरकार के अफसर नलिन चौहान, पुलिस तलाशने में नाकाम

दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रसार निदेशालय के उपनिदेशक नलिन चौहान को लापता हुए करीब एक साल बीतने को है। इसके बाद भी उत्तरी जिला पुलिस उन्हें आज तक नहीं ढूंढ़ पाई है। नलिन चौहान की गुमशुदगी को पुलिस ने कितनी गंभीरता से लिया है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके बारे में सुराग बताने वालों के लिए पुलिस ने सिर्फ 20 हजार रुपये इनाम की घोषणा की है। जिला पुलिस द्वारा उन्हें ढूंढ़ने में नाकाम रहने पर केस को क्राइम ब्रांच में भी ट्रांसफर नहीं किया गया है। पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट दर्ज करने के बाद चौहान के स्वजन, दोस्तों, सहकर्मियों और करीबियों से पूछताछ, उनके मोबाइल फोन के काल डिटेल रिकार्ड, वाट्सएप चैट तथा बैंक खातों की जांच के आधार पर विस्तृत जांच की गई।

जांच में पता चला था कि नलिन चौहान दो-तीन खास दोस्तों के जरिये उज्जैन के किसी बाबा के संपर्क में थे। लापता होने से कुछ दिन पहले दिल्ली में एक दोस्त के घर पर उनकी उस बाबा के साथ कई बार बैठक हुई थी। उन्होंने गृहशांति की पूजा के लिए बाबा को कुछ पैसे भेजे थे। बाबा ने उज्जैन में पूजा की थी। पुलिस ने उज्जैन जाकर बाबा से पूछताछ की। साथ ही उनके दिल्ली निवासी तीन दोस्तों, जिनके निरंतर संपर्क में वह रहते थे, से भी कई बार पूछताछ की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। माना जा रहा है कि उसके बाद से ही पुलिस ने जांच बंद कर दी।

घटना के दौरान नलिन चौहान की 15 वर्षीय बेटी अनन्या ने यू-ट्यूब पर ‘पापा जल्दी आ जाना’ गाने के साथ अपनी तस्वीरें शेयर करते हुए बहुत ही भावनात्मक तरीके से अनुरोध की थी, ताकि बेटी का प्यार उन्हें घर लौटने को मजबूर करे।

रक्षा मंत्रालय के असिस्टेंट डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए नलिन चौहान के 77 वर्षीय पिता देवेश सिंह भी घटना के दौरान पोती के साथ हर संभावित ठिकानों पर ढूंढ़ने की कोशिश की। पुलिस ने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, बस अडडा, रेलवे स्टेशनों व अस्पतालों आदि में भी उन्हें ढूंढ़ने की कोशिश की। तमाम प्रयास विफल साबित हुए। उधर, कई माह तक नलिन का पता नहीं चलने पर सरकारी आदेश के बाद बीते 27 जून को स्वजन को सरकारी आवास भी खाली करना पड़ा। इसके साथ ही उन्हें मिलने वाला वेतन भी बंद कर दिया गया।

ज्ञात रहे नलिन चौहान राजपुर रोड स्थित लुडलो कैसल के सरकारी आवास में पिता, पत्नी, 15 साल की बेटी और 13 साल के बेटे के साथ रहते थे। पिछले साल नवंबर में उन्हें कोरोना हो गया था। पहले वह घर पर ही इलाज ले रहे थे, बाद में तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उन्हें प्लाज्मा चढ़ाया गया था। ठीक होने पर वह घर आ गए थे। स्वजन ने उन्हें बगल के खाली फ्लैट में रहने की व्यवस्था कर दी थी, जिससे वह तनाव में आ गए थे। 10 दिसंबर की सुबह वह मोबाइल फोन घर में छोड़कर लापता हो गए थे।