पढ़िये- चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत का दिल्ली पर क्या पड़ेगा असर

चंडीगढ़ में भले महापौर के नाम पर फैसला नहीं हो सका है, मगर चंडीगढ़ नगर निगम में जिस तरह से आप ने 35 में से 14 सीटें जीती हैं, उससे दिल्ली नगर निगम चुनाव में दूसरी बार उतर रही आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी जोश है। टिकट की दौड़ में शामिल पार्टी के कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि इस बार निगम की सत्ता का सुख मिलकर रहेगा। ऐसे में उन नेताओं को भी मुश्किल हो रही है, जो पार्टी में दमखम रखते हैं। कार्यकर्ता अब इन नेताओं के माध्यम से टिकट के लिए जुगाड़ लगाने में जुट गए हैं। ऐसे नेताओं को अपना आका बनाकर कार्यकर्ता उनकी गणोश परिक्रमा भी कर रहे हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं की संख्या अब बढ़ती जा रही है। नेता भी किसी को उदास नहीं कर रहे हैं, बल्कि सभी का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें काम में लगे रहने की सलाह दे रहे हैं।

AAP के जाल में उलझ गई भाजपा

भाजपा दिल्ली की नई आबकारी नीति के खिलाफ दिल्लीभर में धरना प्रदर्शन कर रही है। दिल्ली सरकार साफ कर चुकी है कि कोई नई दुकान नहीं खोली जा रही है, बल्कि जितनी दुकानें पहले चल रही थीं । उतनी ही दुकानों को चलाने की अनुमति दी गई है। हालांकि, भाजपा इसे मुद्दा बनाने की हर संभव कोशिश कर रही है। पांच दिन पहले भाजपा ने घोषणा कर दी थी कि शराब की दुकानों के विरोध में तीन जनवरी से अभियान चलाने जा रही है। इस पर आम आदमी पार्टी भी कहां चुप रहने वाली थी। आप ने भी नगर निगम उत्तरी के तहत जर्जर और खतरनाक घोषित इमारत में चल रहे राजन बाबू अस्पताल का मुद्दा उठा दिया। इस मुद्दे पर आप पिछले चार दिन में चार बार बयान दे चुकी है या प्रेसवार्ता कर चुकी है। दिल्ली सरकार ने इस अस्पताल को खाली कराकर सील कराने के भी आदेश दे दिए हैं। अब भाजपा आप के इस मुद्दे में उलझ रही है।

कुर्सी की लड़ाई से कर्मचारी परेशान

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) में कुर्सी की लड़ाई तेज हो गई है। इससे कमेटी और इससे जुड़े हुए शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई है। उन्हें लग रहा है कि वर्तमान स्थिति में उनकी समस्याओं का समाधान होना मुश्किल है। पहले मनजिंदर सिंह सिरसा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद वेतन भुगतान को लेकर असमंजस की स्थिति थी। अब सिरसा के इस्तीफा वापस लेने के साथ ही कुलवंत सिंह बाठ को भी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल गई है। इससे दो अध्यक्ष हो गए हैं। अब कर्मचारियों को समझ नहीं आ रहा है कि वह किसके आदेश का पालन करें। कहीं, नेताओं की इस लड़ाई में उनका नुकसान न हो जाए। कर्मचारियों का कहना है कि गुरुद्वारा निदेशालय जल्द नई कार्यकारिणी का गठन करे, जिससे कि कमेटी का कामकाज सही तरह से आगे बढ़ सके। इससे उन्हें समय पर वेतन भी मिल सकेगा।

कोरोना संकट पर राजनीति भारी

राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। संक्रमण को रोकने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं, जिससे आम जनता की परेशानी बढ़ गई है। मास्क नहीं लगाने वालों से जुर्माना वसूला जा रहा है। वहीं, राजनीतिक दलों पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं दिख रहा है। पार्टियां अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में लगी हुई हैं। संगठनात्मक गतिविधियों से लेकर धरना-प्रदर्शन सबकुछ आम दिनों की तरह हो रहा है। कार्यक्रमों या धरना-प्रदर्शन में कोरोना से बचाव के नियमों का कहीं पालन नहीं होता है। इस तरह से नेता मास्क पहनने से भी परहेज करते हैं। अपने साथ ही कार्यकर्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। भाजपा ने सोमवार को नई आबकारी नीति के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला किया है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोरोना संकट में विरोध का तरीका बदलने की जरूरत है।