Rajya Sabha Election 2022: यूपी से राज्यसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे में भाजपा का जातीय-क्षेत्रीय संतुलन साधने का भरपूर प्रयास

लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधते हुए भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा की रिक्त हो रही उत्तर प्रदेश कोटे की 11 सीटों में से छह सीटों के प्रत्याशी घोषित कर दिए। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी सर्वाधिक है। चुनाव में इस वर्ग के मतदाता की निर्णायक भूमिका रहती है। इसे देखते हुए ही विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सबसे अधिक प्रत्याशी इस वर्ग से उतारे।

चुनाव में शानदार जीत के रूप में इसका परिणाम मिला। अब उन्हें पर्याप्त सम्मान देने के साथ ही सवर्ण वर्ग का भी संतुलन लोकसभा चुनाव को देखते हुए राज्यसभा का टिकट देने में साधा गया है। पिछड़ा वर्ग से सुरेंद्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद और संगीता यादव हैं तो सवर्ण वर्ग से डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ब्राह्मण, डा. राधामोहन दास अग्रवाल वैश्य और डा. दर्शना सिंह क्षत्रिय हैं।

भारतीय जनता पार्टी में लंबे समय से उचित सम्मान के दावेदार माने जा रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी सहित उन डा. राधामोहन दास अग्रवाल को भी राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया गया है, जिनका टिकट मुख्यमंत्री के गोरखपुर सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के कारण कट गया था। बुंदेलखंड से पार्टी के पुराने कार्यकर्ता बाबूराम निषाद के साथ ही 2022 के चुनाव में भाजपा पर भरपूर भरोसा जताने वाली आधी आबादी का मान रखते हुए दो महिलाओं, डा. दर्शना सिंह और संगीता यादव को प्रत्याशी बनाया गया है।

उत्तर प्रदेश के कोटे की 11 राज्यसभा सीटें रिक्त होने जा रही हैं। विधायकों के वोटों की संख्या के आधार पर भाजपा के आठ प्रत्याशियों की जीत तय है, जबकि सपा तीन सीटें जीत जाएगी। इन आठ में से छह सीटों पर भाजपा ने रविवार को प्रत्याशी घोषित कर दिए। इनमें पार्टी के 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव को देखते हुए जातीय-क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधने का भरपूर प्रयास किया है।

सपा-रालोद गठबंधन कर जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश विधानसभा में अपनी मजबूत जमीन तैयार करना चाहते हैं, वहां से राज्यसभा सदस्य गौतमबुद्ध नगर के सुरेंद्र सिंह नागर को दोबारा मौका देते हुए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भाजपा ने राज्यसभा भेजने का निश्चय किया है। वाजपेयी की पहचान जमीनी और संघर्षशील नेता के रूप में है। लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण वोटों को थामे रखने की भी रणनीति है कि वाजपेयी का कदम बढ़ाया गया है।

वैश्य वर्ग से तीन-चार नाम दावेदारों की कतार में थे। इनमें से पार्टी ने चार बार विधायक रहे गोरखपुर के राधामोहन दास अग्रवाल को टिकट दिया है। अग्रवाल का टिकट इस बार इसलिए काटा गया था, क्योंकि उनकी सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़े थे। वह पेशे से चिकित्सक हैं और सरल-सहज छवि के नेता हैं।

पश्चिम और पूर्वांचल को साधने के साथ ही बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व भी रखा गया है। बाबूराम निषाद हमीरपुर के निवासी हैं। वर्तमान में पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के अध्यक्ष हैं। संगठन के पुराने कार्यकर्ता हैं। अभी जिन पांच वर्तमान राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें कोई महिला नहीं थी।

इस बार पार्टी ने डा. दर्शना सिंह और संगीता यादव को प्रत्याशी बनाया है। चंदौली निवासी दर्शना सिंह वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। प्रदेश में महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं। वहीं, संगीता यादव चौरी-चौरा विधानसभा सीट से विधायक रही हैं।

अभी पार्टी ने दो सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। ऐसे में दावेदारों की लंबी सूची में जिनके नाम हैं, उनकी आशा बरकरार है। हालांकि, क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को देखें तो स्थिति काफी स्पष्ट होती दिख भी रही है। जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें से सिर्फ सुरेंद्र सिंह नागर को ही रिपीट किया गया है। संजय सेठ, जयप्रकाश निषाद, जफर इस्लाम और शिव प्रताप शुक्ला का नाम इस सूची में नहीं है।