Rajya Sabha Election 2022: राज्यसभा के रास्ते पुराने ब्राह्मण-मुस्लिम वोट बैंक की ओर कांग्रेस, दस प्रत्याशियों की सूची में यूपी से तीन

उत्तर प्रदेश में सिर्फ दो विधायकों की पार्टी बनकर रह गई कांग्रेस यहां से किसी नेता को राज्यसभा भेजने की स्थिति में नहीं है। मगर, पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि देश की सत्ता का गेट-वे उत्तर प्रदेश ही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस ने दूसरे राज्यों से उत्तर प्रदेश के तीन नेताओं को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है। दो ब्राह्मण प्रमोद तिवारी और राजीव शुक्ला के साथ इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने से स्पष्ट संकेत हैं कि कांग्रेस इस रास्ते अपने पुराने ब्राह्मण-मुस्लिम वोटबैंक की ओर कदम बढ़ाना चाहती है।

कांग्रेस पार्टी ने रविवार को विभिन्न राज्यों के कोटे से खाली हो रहीं राज्यसभा सीटों के लिए दस प्रत्याशी घोषित कर दिए। इसमें खास बात है कि यूपी कोटे की एक भी सीट नहीं है, लेकिन पार्टी ने सबसे ज्यादा तवज्जो इसी प्रदेश को दी है। इनमें पूर्व राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य प्रमोद तिवारी को राजस्थान से टिकट दिया गया है। पूर्व सांसद राजीव शुक्ला छत्तीसगढ़ तो इमरान प्रतापगढ़ी महाराष्ट्र के कोटे से प्रत्याशी बनाए गए हैं।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि जातीय समीकरण साधने के फेर में कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने क्षेत्रीय समीकरणों को नजरअंदाज करना बेहतर समझा है। अव्वल तो यह कि एक ही जिले से दो नेता प्रत्याशी बना दिए। प्रमोद तिवारी और इमरान प्रतापगढ़ी मूल रूप से प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। प्रतापगढ़ी सिर्फ मुरादाबाद से लोकसभा चुनाव लड़े और पराजित हुए। वहीं, राजीव शुक्ला कानपुर के निवासी हैं।

पार्टी नेता यह भी मानते हैं कि प्रमोद तिवारी को अपने राजनीतिक-रणनीतिक कौशल को पहले राजस्थान में दिखाना होगा। वहां 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके बावजूद पार्टी ने वहां के किसी बड़े नेता को राज्यसभा भेजने की बजाए तिवारी पर विश्वास जताया है। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस की प्राथमिकता में 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन करना है।

वहीं, रणनीतिकार की सोच यह भी परिलक्षित हो रही है कि मुस्लिम मतदाता ने जिस तरह मिशन मोड पर विधानसभा चुनाव में सपा को एकमात्र विकल्प मानकर उसे वोट दिया, ठीक उसी तरह प्रयास किया जाए तो लोकसभा चुनाव में यह वर्ग कांग्रेस का मजबूती से हाथ थाम सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी पर राज्यसभा भेजने का दांव लगाया गया है।

दलित के लिए होगा अलग दांव : कांग्रेस का आधार दशकों तक ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम वोटों का गठजोड़ रहा है। इधर, राज्यसभा प्रत्याशी बनाकर पार्टी का प्रयास ब्राह्मण और मुस्लिम को साधने का तो दिख रहा है, लेकिन प्रदेश में बड़ी आबादी वाले दलित वोटबैंक को फिलहाल तरजीह नहीं मिली है। ऐसे में पार्टी में चर्चा यह भी है कि कांग्रेस किसी दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है।