बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कुलाधिपति बनने के सपनों को होल्ड कर सकते हैं राज्यपाल, जानिए- कैसे

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने खुद को विश्वविद्यालयों का कुलपति बनाने के लिए पारित विधेयक को राज्यपाल के पास अनुमति के लिए भेजा है। विपक्षी दल के नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से विधेयक को केंद्र के पास भेजने की मांग की है। बंगाल सरकार और राज्यपाल के बीच के संबंध के मद्देनजर क्या राज्यपाल इस पर हस्ताक्षर करेंगे? यदि हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो क्या ममता बनर्जी का सपना अधूरा रह जाएगा? राज्यपाल के पास इस विधेयक को रोकने के क्या-क्या तरीके हैं?

लोकसभा के महासचिव व संविधान विशेषज्ञ डा. सुभाष कश्यप के अनुसार बंगाल सरकार को अब बिल पर अनुमति के लिए राज्यपाल जगदीप धनखड़ के पास भेजना होगा। अब राज्यपाल के पास तीन तरीके हैं।

– विधेयक सरकार को वापस भेज सकते हैं। हालांकि विधेयक लौटाने का अधिकार एक बार ही है।

– राज्यपाल विधेयक को अपने पास अनिश्चित काल के लिए होल्ड कर सकते हैं।

– निर्देश के लिए केंद्र सरकार को भेज सकते हैं।

डा. कश्यप के अनुसार संवैधानिक तौर पर जब तक राज्यपाल की अनुमति नहीं मिलेगी तब तक बंगाल सरकार संवैधानिक तौर पर इसे लागू नहीं सकती है।

– यदि सरकार असंवैधानिक तरीके से इसे लागू करती है तो राज्यपाल राष्ट्रपति को पत्र लिखकर संविधान के उल्लंघन के आरोप में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर सकते हैं। हालांकि, यह आखिरी विकल्प के तौर पर उपयोग किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन का कहना है। बंगाल के राज्यपाल के पास दो तरीके हैं। कुछ निर्देशों के साथ पहली बार विधेयक लौटा दें। हालांकि इसके बाद सरकार जब दोबारा इसे हस्ताक्षर के लिए भेजेगी तो उन्हें हस्ताक्षर करना पड़ेगा। तीन हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरारिवलन के मामले में जो जजमेंट दिया उसमें स्पष्ट कर दिया कि राज्यपाल को केंद्र सरकार के पास कोई भी विधेयक या कोई भी प्रस्ताव भेजने का अधिकार नहीं है। ऐसी स्थिति में राज्यपाल के पास सिर्फ होल्ड करने का ही अधिकार है। कानून में होल्डिंग को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं।

समवर्ती सूची अथवा तीसरी-सूची(सातवीं अनुसूची) भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में दिए गए 52 विषय (हालांकि अन्तिम विषय को 47वां स्थान दिया गया है) की सूची है। इसमें राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों के साझा अधिकारों को वर्णित किया गया है।