काम न मिलने पर तनुश्री दत्ता बोलीं:2019 में मुझे जान से मारने की कोशिश की थी, बॉलीवुड माफिया डॉन के टच में रहता है

फिल्म इंडस्ट्री में मीटू मुहिम की शुरुआत करने वालों में तनुश्री दत्ता का भी नाम रहा है। लंबे समय के बाद वो फिर से बॉलीवुड में कमबैक कर रही हैं। हालांकि उनका दावा है कि एक बॉलीवुड माफिया है, जो उनके प्रोजेक्ट्स को लगातार छीन रहा है।

तमाम चुनौतियों के बावजूद कैसे खुद को नॉर्मल रख पा रही हैं?
कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। अपनी भड़ास निकालने की कोई और जगह भी नहीं है। मैं सितंबर 2020 में अमेरिका से इंडिया आई थी। इस इरादे से कि दो साल काम करके अपने एमबीए की फीस के पैसे निकाल वापस चली जाऊंगी। मगर इंडिया वापसी के चार महीने बाद यानी दिसंबर 2020 से मेरे हाथ आ रहे काम को लगातार सैबोटाज किया जा रहा है। इंडस्ट्री में मेरे जैसे आर्टिस्टों की रिक्वॉयरमेंट है।

अपने जमाने में पांच सालों के करियर में मैंने कई हिट फिल्में दी हैं। फिर ऐसा क्यों होता है कि मेरे पास लोग प्रोजेक्ट लेकर आते हैं। उसमें मैं काफी टाइम और एनर्जी इनवेस्ट कर देती हूं, मगर वह फ्लोर पर जाए कि ऐन मौके पर संबंधित लोग हाथ वापस खींच लेते हैं। जरूर बॉलीवुड माफिया है, जो मेरा काम बिगाड़ने में लगा हुआ है।

उन प्रोजेक्टों के नाम क्या थे? कौन बना रहे थे उन्हें?
वो फिल्म और OTT सब जगह से थे। उनका स्पेसिफिकली नाम नहीं ले सकते, क्योंकि वो सब अभी अंडर प्रोडक्शन हैं। अब जब मैं उनमें काम नहीं कर रही तो उनका नाम लेकर क्यों प्रोमोट करूं? बेशक वो सब मेरे साथ काम करने को सीरियस थे। यकीन होता रहा कि वो आगे के स्टेज पर बढ़ते रहे।

कितने काम थे वैसे, जो सैबोटाज हुए?
मैंने गिनती ही करनी छोड़ दी, पर पिछले दो सालों में 12 प्रोजेक्टों पर बात तो आगे बढ़ी थी। जो मुझे अच्छे लगे थे। बहुत तो ऐसे थे जो एन्क्वायरी लेवेल पर ही बैकफायर हो गए। कुछ एनक्वायरी तो ऐसी थीं, जो मुझे सिर्फ परेशान करने और टाइम किल करने के लिए आती थीं।

आजकल ज्यादातर काम कास्टिंग डायरेक्टर्स के थ्रू आ रहे? टॉप के वैसे नाम मुकेश छाबड़ा, अभिषेक बनर्जी हैं। तो क्या वो आप के टच में हैं या आप उनके टच में हैं?
बहुत से लोगों के टच में हूं। हालांकि मैं स्थापित कलाकार रही हूं तो मुझे डायरेक्टली डायरेक्टर या प्रोड्यूसर के ऑफिसेस से कॉल आते रहे हैं। मुझे कभी स्क्रीन टेस्ट वगैरह की प्रोसेस से नहीं गुजरना पड़ा। ये तो अब हाल के बरसों में हुआ है, जो कास्टिंग डायरेक्टर हावी हुए हैं। मगर प्रॉब्लम ये है कि एक बॉलीवुड माफिया पूरा आपके अगेंस्ट काम कर रहा तो कास्टिंग डायरेक्टर भी क्या ही करे?

तो वो माफिया कौन हैं? सुशांत सिंह राजपूत के वक्त कइयों पर आरोप लगे कि वो कथित बॉलीवुड माफिया हैं?
मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती। क्योंकि ऐसा तो है नहीं कि जो लोग मेरा काम बिगाड़ रहे, वो मुझे आगे चलकर बता रहे कि भई हम फलां-फलां हैं। ये बोलना मुश्किल है कि कौन बॉलीवुड माफिया है? पर मैंने तो कांड भी ऐसे-ऐसे किए हैं, मीटू मूवमेंट के बाद कि जितने भी मीटू आरोपी रहे, उन सब का मुझसे छत्तीस का आंकड़ा तो होगा ही। मीटू मुहिम के वक्त क्या कुछ मेरे साथ हुआ, वह तो सबको पता ही है।

फिर भी कौन हो सकते हैं वो बॉलीवुड माफिया?
एक माफिया तो काम करता ही है, जिनके अंडवर्ल्ड कॉन्टैक्ट हैं। क्योंकि डॉन वगैरह खुद तो दुकान खोल बैठे नहीं रहते बॉलीवुड में। उनका बड़ा बिजनेस दो तीन देशों को लेकर चल रहा होता है। उनके गुर्गे यहां बॉलीवुड के कुछ आर्टिस्टों, मेकर्स के टच में रहते हैं। वैसे टच वाले लोग चाहते हैं कि तनुश्री को रास्ते से हटाया जाए। बॉलीवुड माफिया वो होता है, जो मेन डॉन के टच में रहते हैं।

सुशांत कितने बड़े नाम थे? वो दो चार साल नहीं भी काम करते तो भी बैठकर खा सकते थे। जो लोग बोलते हैं सुशांत ने सुसाइड कर लिया। वह सब बकवास है। आर्टिस्ट बिरादरी उतना तो कमा ही लेती है कि गर्दिश भरे दिन में बिना काम के भी आराम से रहे।

बहरहाल, आप की बहन इशिता दत्ता के भी संबंध इंडस्ट्री में अच्छे हैं मेकर्स और एक्टरों के बीच। उनकी तरफ से मदद के हाथ आ रहें हैं?
उसकी लाइफ और करियर अगल है। हम दोनों एक दूसरे के काम में इंटरफेयर नहीं करते। ऑनेस्टली हमारी उतनी बातचीत भी नहीं होती। उसकी शादी के बाद हमारा मिलना जुलना भी बहुत कम है। ना ही मैं उन पर खुद को इंपोज कर रही।

क्या ऐसा कहा जाए कि आप कल को ऐलान करें कि इंडस्ट्री छोड़ रहीं तो शायद सो कॉल्ड बॉलीवुड माफिया आप का पीछा छोड़ दे?
एक बात बताना चाहूंगी। मीटू कैंपेन में मैंने जब पीसी की थी तो उसके बाद भी मुझे जान से मारने की कोशिश की गई थी। एक प्लान के तहत मुझसे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में एक होटल में मीटिंग फिक्स की गई।उस होटल के 10 वीं मंजिल के रूम के अंदर ले जाया गया। वहां पहले से यूपी बिहार के छह गुंडे टाइप के लोग थे।

मैं उस तरफ की हूं तो उनके बात करने के अंदाज से समछ गई। मैं उस रूम में गई ही नहीं। मैंने मीटिंग फिक्स करने वाले से कहा कि खुले एरिया में मीटिंग करें। मैंने सीधा मना किया कि रूम में नहीं जाऊंगी। वैसे भी मैं मीटिंग बंद कमरे में करती ही नहीं। भले कोई सौ या हजार करोड़ दे या चांद का टुकड़ा दे। यह उसूल मैं मॉडलिंग से लेकर मिस इंडिया और फिल्म इंडस्ट्री में शुरू से फॉलो करती रही हूं।