अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में हर पांचवें बच्चे में एंग्जाइटी के लक्षण मिल रहे हैं। चिंता की बात यह है कि परिजन इसे सामान्य मानते हैं जो कि नुकसानदायक है। इससे भविष्य में बच्चों को मानसिक समस्या से जूझना पड़ सकता है। पीड़ित बच्चे लोगों से मिलने, दोस्तों के साथ घुलने-मिलने से बचने लगते हैं।
कई बच्चों में भीड़भाड़ में जाने के नाम पर पेट दर्द, बार-बार यूरीन आना, सिर दर्द जैसी शिकायतें भी मिलती हैं। न्यूयॉर्क के क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट रेचल बुसमैन के अनुसार इसके लक्षणों को जितनी जल्दी पहचान लिया जाए बच्चों को इस समस्या से बचाना उतना ही आसान हो जाता है।
जनरल एंग्जाइटी: बच्चे प्रतिदिन के कामों को भी करने से मना करने लगते हैं
UK की नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार बच्चों के पास समस्या बताने का टूल नहीं होने से वे ऐसे रिएक्ट करते हैं।
लक्षण: एकाग्रता में कमी, बिस्तर गीला करना, नींद आने में दिक्कत, खाना खाने में आना-कानी करना, हमेशा पेरेंट्स से चिपके रहना, रोजमर्रा के कामों को भी करने में परेशान होना, लोगों के बीच बोलने में घबराना जैसे लक्षण दिखते हैं।
सोशल एंग्जाइटी: लोगों के बीच बाेलने से डरते हैं, बहुत ही धीमी आवाज में बोलते हैं
वॉशिंगटन स्थित चिल्ड्रन नेशनल हॉस्पिटल के अनुसार सोशल एंग्जाइटी से पीड़ित बच्चे ऐसे रिएक्ट करते हैं।
लक्षण: स्कूल जाने, लोगों के बीच बोलने से मना करना या बहुत ही धीमी आवाज में बोलना, आंखें झुकाकर बिना चेहरा देखे बात करना। लोगों के बीच रहने, परफॉर्म करने, लोगों के सामने खाना खाने, क्लास रूम में बोलने से डरना।
क्या करें: पूछें क्या अच्छा लगा, क्या खराब, क्यों?
बच्चे को परेशान करने वाली परिस्थिति को खत्म करने के बजाय इससे निपटने के लिए उसे तैयार करें। घबराहट हो रही है यह पूछने के बजाय कैसा लग रहा है यह पूछें। जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक या चाइल्ड स्पेशलिस्ट की सलाह जरूर लें।