अमेरिकी मिड टर्म इलेक्शन में बाइडेन की डेमोक्रेटिक और ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी में बहुमत के लिए कड़ा मुकाबला है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सीनेट में दोनों पार्टियों ने 49 सीटों पर जीत हासिल की है। यहां बहुमत का आंकड़ा 51 है। हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में रिपब्लिकन पार्टी ने 211 सीटें जीत ली हैं। बहुमत के लिए 218 सीटें चाहिए। वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी 201 सीटें ही जीत पाई है।
अब अमेरिकी राजनीति में कोई बहुत बड़ी जीत नहीं होती है। मिडटर्म इलेक्शन में राष्ट्रपति की पार्टी हमेशा संसद की सीटें हारती है। 1970 के बाद 50 साल से ज्यादा समय से ऐसा हो रहा है। वोटर उस पार्टी को सबक सिखाते हैं जिसके हाथ में संसद के दोनों सदन और राष्ट्रपति पद है। 2010 में बराक ओबामा और 2018 में ट्रम्प के साथ ऐसा हो चुका है। 2022 के चुनावों में बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी पीछे चल रही है। इसलिए उन्हें ऐसे परिणामों की अपेक्षा की होगी।
बाइडेन हारे तो बड़े फैसले नहीं ले पाएंगे
मिड टर्म इलेक्शन में बाइडेन और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी बहुमत खो देते हैं तो वो काफी कमजोर हो जाएंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो बाइडेन फिर नाम के ही राष्ट्रपति रह जाएंगे। हर बड़ा फैसला लेने के लिए उन्हें संसद में विपक्ष यानी डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के भरोसे रहना होगा, क्योंकि जिस भी पार्टी की जीत होती है यानी संसद में जिस पार्टी के मेंबर्स ज्यादा होते हैं उस पार्टी का दबदबा होता है। वही पार्टी कानून बनाने में ज्यादा अहम रोल अदा करती है।
चुनाव परिणामों की व्याख्या के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के सामने कई कारण
- जब कई वोटर सोचते हैं कि महंगाई 8% से ज्यादा बढ़ाने में डेमोक्रेट्स का हाथ है तब सरकारी खर्च में बढ़ोतरी मुश्किल है।
- डेमोक्रेटिक पार्टी दुविधा में है कि अपराध या बाहरी लोगों की समस्या के लिए वह क्या करना चाहती है।
- डेमोक्रेट्स वोटरों के अजीब रवैये को नजरअंदाज करते लगते हैं। रिपब्लिकन पार्टी का एक वर्ग लोकतंत्र के लिए खतरा बन गया है। इसलिए किसी भी पार्टी का अगला रास्ता आसान नहीं है।
सर्वे में रिपब्लिकन आगे रही पर चुनावों की तस्वीर अलग
मध्यावधि चुनाव से कुछ समय पहले वोटरों के एक वर्ग ने एक सर्वे में डेमोक्रेटिक पार्टी की देशभक्ति और अमेरिकी मूल्यों को समर्थन पर संदेह जताया था। वोटरों का ऐसा मिजाज रिपब्लिकन पार्टी के लिए तोहफा माना गया था। फिर भी, पार्टी के पास अमेरिका की समस्याओं से निपटने के अच्छे आइडिया नहीं हैं। रिपब्लिकन नेताओं ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने का मौका गंवाया है।
ट्रम्प अब भी नाम के लिए रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख नेता हैं। पार्टी का उग्र वर्ग उनके काबू में है। फिर भी इस बार के चुनाव नतीजों ने उन्हें 6 जनवरी 2021 को हुए संसद पर हमले के समय से भी ज्यादा कमजोर बना दिया है।
इस बार लोकतंत्र मजबूत हुआ
चुनाव परिणामों से अमेरिकी लोकतंत्र स्वस्थ और अधिक सुरक्षित होकर सामने आया है। अगले दो साल तक सरकारी कार्यक्रमों के लिए धन की मंजूरी के मामलों में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के बीच संसद में खींचतान होगी। अमेरिकी की वास्तविक समस्याओं का कोई हल नहीं निकलेगा।
हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव में मामूली बहुमत हासिल करने की वजह से 2024 के लिए ट्रम्प की दावेदारी खत्म नहीं होगी। दूसरी ओर बाइडेन के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने में संदेह है। उनकी सरकार ने कई गलत फैसले किए हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प के कई कट्टर समर्थक चुनाव हारे
ट्रम्प के लिए मिड टर्म इलेक्शन से उबरना मुश्किल होगा। एरिजोना, जार्जिया, नेवादा और पेनसिल्वानिया में ट्रम्प के चुने गए उम्मीदवार सीनेट के आसान चुनाव कांटे की लड़ाई में नहीं जीत पाए हैं। इस बीच, पार्टी में राष्ट्रपति की उम्मीदवारी के लिए ट्रम्प के संभावित प्रतिद्वंद्वी फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डी सेंटिस बमुश्किल 20 अंक से जीत सके हैं।
ट्रम्प के कट्टर समर्थक डग मेस्ट्रिआनो, पेनसिल्वानिया और टिम मिचेल्स, विस्कांसिन में हार गए हैं। मिशिगन, नेवादा में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट पद के चुनाव हार गए हैं। चुनाव कराने में इस पद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये सभी प्रत्याशी पिछले राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प की हार को धांधली बता रहे थे।