अदाणी विवाद गरम रखने में राजनीतिक संभावनाएं देख रही कांग्रेस, पार्टी ने प्रमुख नेताओं से कराई प्रेस कांफ्रेंस

 अदाणी विवाद में राजनीतिक संभावनाएं देख रही कांग्रेस ने संसद के बाद अब देश के दूरदराज क्षेत्रों तक इस मुद्दे को पहुंचाने की रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है। इसके तहत ही शुक्रवार को करीब 21 राज्यों में कांग्रेस ने अपने नेताओं को भेजकर अदाणी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर प्रेस कांफ्रेंस कराकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाने पर रखा। वहीं, कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने लगातार 12वें दिन सवाल पूछने का सिलसिला जारी रखते हुए आरोप लगाया कि इंडियन आयल कारपोरेशन (आइओसी) को सरकार संचालित विशाखापत्तनम पोर्ट की बजाय अदाणी के स्वामित्व वाले गंगावरम पोर्ट के जरिये एलपीजी आयात के लिए बाध्य करने का प्रयास किया जा रहा है जो पोर्ट सेक्टर में अदाणी का एकाधिकार स्थापित करने का प्रयास है।

पार्टी ने कई नेताओं से कराई अदाणी मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस

बजट सत्र के पहले चरण में अंतर्विरोधों के बावजूद अदाणी विवाद पर विपक्षी दलों में दिखी एकजुटता से कांग्रेस को जमीनी स्तर पर इसके जरिये समानांतर सियासी विमर्श खड़ा करने की संभावनाएं नजर आ रही हैं। इसीलिए पार्टी ने शुक्रवार को 21 राज्यों की राजधानियों सहित कुल 23 प्रमुख शहरों में सचिन पायलट, दीपेंद्र हुड्डा, अजय माकन, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत, रजनी पाटिल, गौरव बल्लभ, प्रणव झा से लेकर भक्त चरण दास जैसे नेताओं की अदाणी मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस कराई।

कांग्रेस को इस मुद्दे पर दिखाई दे रहा भाजपा को बैकफुट पर धकेलने का दम

2024 के चुनाव में विपक्षी एकता के साथ भाजपा को बैकफुट पर धकेलने के लिहाज से कांग्रेस को इस मुद्दे में दम दिखाई दे रहा है। यह बात दीगर है कि 2019 के चुनाव से पहले कारपोरेट जगत से नजदकी को लेकर सूट-बूट की सरकार और राफेल जेट सौदे को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास किया था, मगर पार्टी को सफलता नहीं मिली। ऐसे में अदाणी विवाद से चुनावी राजनीति कैसे प्रभावित होगी, इस पर पार्टी के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि आठ वर्ष में अदाणी समूह की जमीन से आसमान तक छलांग लोगों को प्रत्यक्ष दिख रही है और इसके पीछे सत्ता की ताकत भी किसी से छिपी नहीं है। इस तथ्य को जनता के बीच निरंतर रखते रहना कांग्रेस ही नहीं, समूचे विपक्ष की जिम्मेदारी है।

जयराम रमेश ने पूछे सवाल

इसी रणनीति के तहत ही जयराम रमेश ने ‘हम अदाणी के हैं कौन’ (एचएएचके) श्रृंखला के तहत लगातार 12वें दिन प्रधानमंत्री से सवाल पूछे। सार्वजनिक क्षेत्र को जानबूझकर कमजोर करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, हमें पता चला है कि आइओसी पहले सरकार संचालित विशाखापत्तनम बंदरगाह से एलपीजी आयात कर रही थी, अब उसे पड़ोस के अदाणी के गंगावरम बंदरगाह का उपयोग करने के लिए तैयार किया जा रहा है। वह भी ‘आपूर्ति लो या भुगतान करो’ जैसे एक प्रतिकूल अनुबंध के आधार पर। क्या यह सार्वजनिक क्षेत्र को केवल अपने मित्रों को और समृद्ध बनाने के उपकरण के रूप में देखना नहीं है?

अदाणी पोर्ट को बनाया जा रहा है प्रमुख बंदरगाह

कांग्रेस नेता ने कहा कि आइओसी ने स्पष्ट किया है कि उसने अदाणी पो‌र्ट्स के साथ केवल एक ‘गैर-बाध्यकारी समझौता ज्ञापन’ पर हस्ताक्षर किए हैं और आपूर्ति लो या भुगतान करो’ जैसे बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ऐसे में क्या ऐसा समझौता ज्ञापन उस दिशा का संकेत नहीं दे रहा जिसमें आइओसी को धकेला जा रहा था और अदाणी पोर्ट को एलपीजी आयात का प्रमुख बंदरगाह बनाया जा रहा था?