यूनिफॉर्म सिविल कोड पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक:कहा- चुनाव से पहले ही चर्चा होती है, PM ने कहा था- दो कानून नहीं चल सकते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून को भोपाल आए और अलग-अलग राज्यों के लिए 5 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें लॉन्च कीं। उन्होंने भाजपा के 10 लाख बूथ कार्यकर्ताओं को भी संबोधित किया और देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) जल्द लागू करने की वकालत की।

PM ने कहा- यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लोगों को भड़काया जा रहा है। पसमांदा मुस्लिम राजनीति का शिकार हुए हैं। ‌‌एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता। BJP यह भ्रम दूर करेगी। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद कांग्रेस, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने इसे मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला बताया।

UCC की चर्चा के बीच दिन देर रात मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। 3 घंटे तक चली मीटिंग में बोर्ड ने UCC के प्रस्तावित कानून का विरोध करने का फैसला किया।

वर्चुअल मीटिंग के दौरान AIMPLB के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और AIMPLB मेंबर मौलाना ख़ालिद रशीद फरंगी महली, AIMPLB के वकील सहित अन्य लोग मौजूद थे।

मौलाना ख़ालिद रशीद ने कहा- हमने एक ड्रॉफ्ट तैयार किया है, जिसमें शरीयत कानूनों का जिक्र है। उसे जल्द ही लॉ कमीशन को भेजा जाएगा। हम लॉ कमिशन के सामने अपना पक्ष प्रभावी ढंग से रखेंगे। हर बार चुनाव आने से पहले राजनेता UCC का मुद्दा उठाते हैं। 2024 चुनाव से पहले एक बार फिर इसे जिंदा किया जा रहा।

लॉ कमीशन तैयार कर रहा रिपोर्ट, PM का बयान करेगा प्रभावित
समान नागरिक कानून को लेकर लॉ कमीशन एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। रिपोर्ट बनाने के लिए कमीशन ने UCC पर आम जनता की राय भी मांगी है। मुस्लिम मौलवियों की संस्था जेयूएच के सचिव, नियाज अहमद फारूकी ने कहा, UCC पर पीएम के बयान लॉ कमीशन को प्रभावित कर सकते हैं।

देश के प्रधानमंत्री होने के नाते, यह उनके कद के अनुरूप नहीं है और UCC पर इस तरह सार्वजनिक रूप से बयान देने से पहले उन्हें लॉ कमीशन से बातचीत करनी चाहिए थी।

ओवैसी-हसन से लेकर थरूर तक ने UCC पर दिया रिएक्शन
AIMIM चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, जब प्रधानमंत्री UCC की बात करते हैं तो वह हिंदू नागरिक संहिता का जिक्र करते हैं।

ओवैसी ने आगे कहा, भारत के प्रधानमंत्री अनुच्छेद 29 को नहीं समझते हैं। UCC के नाम पर देश की विविधता को कैसे छीना जा सकता है। वहीं सपा सांसद एसटी हसन ने कहा – हम हदीस की हिदायतें नहीं छोड़ सकते। संविधान हर व्यक्ति को अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार देता है।

कांग्रेस नेता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य आरिफ मसूद ने कहा, ‘PM को याद रखना चाहिए कि उन्होंने भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान को अपनाया था। देश के सभी वर्गों को संविधान पर भरोसा है और वे इसे बदलने नहीं देंगे।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, जहां तक यूनिफॉर्म सिविल कोड का सवाल है। प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि UCC होना चाहिए लेकिन हमें सभी को साथ लेकर चलना होगा। आप किसी भी देश में किसी एक तबके को नहीं भूल सकते।

PM ने तीन तलाक पर बात की, AIMPLB बोली- कानून बन गया अब क्यों चर्चा
PM ने भोपाल में UCC के अलावा तीन तलाक पर भी बात की। उन्होंने कहा, तीन तलाक का इस्लाम से संबंध होता तो दुनिया के मुस्लिम बाहुल्य देश इसे खत्म नहीं करते। मिस्र में 90% से ज्यादा सुन्नी मुस्लिम हैं। 80-90 साल पहले वहां तीन तलाक की प्रथा समाप्त हो चुकी है।

PM के इस बयान को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा, इस मामले पर भारत में एक कानून बन गया है तो PM की इस चर्चा का क्या मतलब है।

तीन तलाक कहने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान करने वाला यह कानून महिला के लिए किसी तरह की मदद नहीं करता है। यह महिलाओं को आधे रास्ते में छोड़ देता है। बाद में उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। पहले सरकार को इन सभी चीजों को ठीक करना होगा।

पाकिस्तान में तीन तलाक क्यों नहीं? AIMPLB बोली- दूसरे देश से तुलना ठीक नहीं
PM ने तीन तलाक को लेकर कहा था कि अगर यह इस्लाम का जरूरी अंग है, तो पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश में क्यों नहीं है। इस पर इलियास ने कहा, ‘अन्य मुस्लिम देश क्या कर रहे हैं, इस पर यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस्लाम में अलग-अलग विचारधाराएँ हैं। किसी देश ने इसे पहले खत्म कर दिया तो उस समय स्थिति अलग होगी। दूसरे देशों की तुलना करना उचित नहीं है।

इलियास ने आगे कहा, तीन तलाक पर बार-बार जोर देने से ऐसा लगता है जैसे यह मुसलमानों में बहुत आम बात है। वास्तव में, यह जमीनी हकीकत से बहुत दूर है क्योंकि मुसलमानों में तलाक की दर कम है और इस्लाम किसी रिश्ते के टूटने की स्थिति में तलाक को अंतिम उपाय मानता है।