हिमाचल से सुरक्षित सिरसा लौटे 4 युवक:मणिकर्ण-मंडी के बीच फंसे थे, 2 रातें सड़क पर गुजारी, बोले- लोगों ने नहीं किया सहयोग

हरियाणा के सिरसा जिले के चार युवक हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण साहिब से सकुशल लौट आए हैं। चारों युवक दोस्त हैं और निजी कंपनियों में काम करते हैं। इन युवाओं को रास्ता बंद होने के कारण दो रातें सड़क पर ही गुजारनी पड़ी। बुधवार अलसुबह सिरसा पहुंचने के बाद युवकों व उनके परिवार वालों ने राहत की सांस ली। इन दो दिनों में जो दृश्य वहां का देखा, उसे वे कभी भूल नहीं पाएंगे।

सिरसा के प्रेम सेठी, इंद्र शर्मा, अमित व हरप्रीत ने बताया कि वे 7 जुलाई को सिरसा से मणिकर्ण साहिब दर्शन के लिए निकले थे। 8 जुलाई को कसौल पहुंचे। वहां रात रुकने के बाद मणिकर्ण में गुरुद्वारा साहिब में माथा टेककर वापस नीचे की और निकल पड़े। उस समय वहां पर बाढ़ जैसी कोई स्थिति नहीं थी। आधे घंटे के बाद ही बादल फटने से नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया।

9 जुलाई को जब वे निकले तो मणिकर्ण साहिब से 35 किलोमीटर दूर मंडी के बीच फंस गए। क्योंकि दोनों और से पत्थर गिरने से रास्ता ब्लॉक हो गया। कहीं पर सड़कें बह गई थी। थलोट गांव में पर्यटकों की 150 गाड़ियां फंसी हुई थी। पानी का बहाव इतना तेज था कि छोटे-बड़े वाहन और कई मकान बह गए।

पहाड़ी लोगों ने आपदा में ढूंढा अवसर
युवाओं ने बताया कि पहाड़ी लोगों ने इस आपदा में अवसर ढूंढा। हर चीज के दाम बढ़ा दिए। चावल की छोटी सी प्लेट 80 रुपए में मिली। इतना ही नहीं महिलाओं ने शौचालय प्रयोग किया तो उनसे 30 रुपए तक वसूले गए। घरों में रहने के लिए एक कमरा 1200 रुपए में दिया। लोगों ने पर्यटकों को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सरकार ने भी कोई मदद नहीं की।

पेट्रोल पंपों में भरा पानी
युवाओं ने बताया कि पर्यटकों को अपनी गाड़ियों में तेल डलवाने की बड़ी दिक्कतें आई। बाढ़ के कारण पंपों में पानी भर गया। बिजली भी नहीं थी और मोबाइल नेटवर्क भी टूट गया। दो दिनों तक परिवार से बात नहीं हुई। वहां एक नया अंडरपास बना था, लेकिन उसका उद्घाटन नहीं किया गया। उसके आगे भी रास्ता ब्लॉक हुआ था। प्रशासन उसे खोल नहीं रहा था।

लोगों के विरोध के बाद प्रशासन ने उस रास्ते को खुलवाया। इसके बाद मुख्य रोड छोड़कर लिंक रास्ते से होकर सुंदरनगर पहुंचे और वहां से चंडीगढ़ आए।