सुप्रीम कोर्ट के जज पैनल में 2 नए जजों की नियुक्ति पर बार एसोसिएशन ने उनका सम्मान समारोह रखा। इस दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दोनों जजों के स्वागत में फिल्म विजयपथ का गाना- देर लगी आने में तुमको, शुक्र है फिर भी आए तो और वसीम बरेलवी का शेर- जमीं पर चांद कहां रोज-रोज उतरता है, सुनाया।
गौरतलब है कि कॉलेजियम सिस्टम की सिफारिश के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और सीनियर एडवोकेट कलपति वेंकटरमन विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज प्रमोट किया गया है।
72 घंटे में सिफारिश मंजूरी ने बताया जिंदा है कॉलेजियम सिस्टम-CJI
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सिफारिश के 72 घंटे के भीतर दोनों की सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति से पता चलता है कि कॉलेजियम जीवंत, एक्टिव और अपने काम के लिए समर्पित है। हमने जिन्हें भी चुना है, उसके लिए सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों परामर्श के बाद ही चुना है। हमें यह भी मानना चाहिए कि सरकार का भी शुक्रिया करना चाहिए, जिसने इस प्रक्रिया में 72 घंटे से भी कम का समय लिया।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 16 मई को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा को SC का जज बनाने के लिए केंद्र से सिफारिश की थी।
CJI ने कहा- जस्टिस मिश्रा का जीवन बहुत ही साधारण परिवार से शुरू हुआ था। यह बताता है कि सुप्रीम कोर्ट में आने वाले जज भारतीय समाज से गहराई से जुड़े हुए हैं।
दूसरी तरफ, उन्होंने जस्टिस विश्वनाथन के बारे में कहा कि वह बार के यंग मेम्बर्स के लिए एक आदर्श और गुरु रहे हैं। उन्होंने युवा वकीलों की टीम बनाने में योगदान दिया है। CJI ने जस्टिस विश्वनाथन के लिए कहा- “तुम आ गए हो तो कुछ चांदनी सी बातें हों, जमीन पर चांद कहां रोज-रोज उतरता है।”
- विश्वनाथन का जन्म 26 मई 1966 को हुआ। विश्वनाथन ने भरथियार यूनिवर्सिटी कोयम्बटूर से कानून की डिग्री पूरी की। उन्होंने 1988 में बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में दाखिला लिया। सुप्रीम कोर्ट में दो दशकों से अधिक समय तक वकालत करने के बाद उन्हें 2009 में एक सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। 11 अगस्त 2030 को जस्टिस जेबी पारदीवाला के सेवानिवृत्त होने पर जस्टिस विश्वनाथन भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे और 25 मई 2031 तक इस पद पर बने रहेंगे।
- जस्टिस प्रशांत मिश्रा का जन्म छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में हुआ। उन्होंने गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री ली। रायगढ़ जिला अदालत में प्रैक्टिस करने के साथ ही उन्होंने जबलपुर और बिलासपुर हाईकोर्ट में लंबे समय तक वकालत की। 2005 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के तौर पर उनके नाम पर मुहर लगाई।