ताइवान की मंत्री ने भारतीयों पर नस्लभेदी टिप्पणी की:भारत की अपत्ति के बाद माफी मांगी; भारतीयों को नौकरी देने पर चर्चा कर रही थीं

ताइवान ने भारतीयों पर की गई नस्लभेदी टिप्पणी के लिए माफी मांगी है। दरअसल, ताइवान की लेबर मिनिस्टर शू मिंग चूं ने 4 मार्च को भारत के साथ हुए श्रम करार पर चर्चा करते हुए कहा था- ताइवान, भारत के पूर्वोत्तर के ईसाई कामगारों को प्राथमिकता देगा, क्योंकि उनका रूप-रंग और खान-पान ताइवानी लोगों जैसा है।

भारत ने मंत्री की इस टिप्पणी को नस्लभेदी बताते हुए विरोध जताया था। इसके बाद आज ताइवान ने कहा- मंत्री की टिप्पणी अफसोसजनक है। ताइवान किसी भी प्रवासी कामगार या पेशेवर के साथ उसके रूप-रंग, जाति-धर्म, भाषा और खान-पान की आदतों के आधार पर भेदभाव नहीं करता। हम भारत सरकार को भरोसा दिलाते हैं कि ताइवान में सभी भारतीयों के साथ उचित व्यवहार किया जाएगा।

मंत्री ने कहा था- नौकरी में प्राथमिकता नॉर्थ-ईस्ट इंडियन्स को दी जाएगी
लेबर मिनिस्टर शू मिंग चूं से पूछा गया कि भारत के साथ श्रमिकों को लेकर हुए करार पर उनकी क्या राय है और इसे किस तरह से लागू किया जाएगा? साथ ही ये भी पूछा गया कि भारत-ताइवान के बीच सांस्कृतिक फासले का इस पर क्या असर होगा?

इसके जवाब में चूं ने कहा- नॉर्थ-ईस्ट इंडिया के लोगों का रंग, खाने के तौर तरीके हमसे मिलते जुलते हैं। वो हमारी तरह ही ईसाई धर्म में ज्यादा विश्वास रखते हैं। वो काम में निपुण भी हैं। इसलिए पहले पूर्वोत्तर के श्रमिकों को भर्ती किया जाएगा।

17 फरवरी को हुआ था करार
भारत और ताइवान ने 17 फरवरी, 2024 को एक MoU (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर साइन किए थे। इस MoU के तहत भारतीय कामगारों के लिए ताइवान के दरवाजे खुल जाएंगे।
दरअसल, ताइवान इस वक्त प्रोडक्शन, कंस्ट्रक्शन और एग्रीकल्चर सेक्टर में मजदूरों की कमी से जूझ रहा है। इस करार के तहत ताइवान ही निर्धारित करेगा कि भारत से कितने प्रवासी कामगारों को वहां भुलाया जाएगा।

साउथ कोरिया ने भी माफी मांगी थी
2022 में पाकिस्तान की तरफ से 5 फरवरी को कथित ‘कश्मीर सॉलिडेरिटी डे’ मनाए जाने पर हुंडई पाकिस्तान ने एक ‘ना-पाक’ ट्वीट किया था। इस ट्वीट में पाकिस्तान का समर्थन किया गया था। ट्वीट में कश्मीर की आतंकी हिंसा को आजादी की लड़ाई बताया गया था। इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने हुंडई मोटर्स को जमकर ट्रोल किया था।