लखनऊ एयरपोर्ट तस्करी का ‘हब’ बना:10 महीने में 72 गोल्ड स्मगलर, 90 दिन में 110 सिगरेट तस्कर पकड़े; 29 स्मगलर एक साथ फरार हुए

लखनऊ में एयरपोर्ट प्रशासन की कमी से 29 तस्कर फरार हो गए हैं। अब पुलिस की मदद से उनको खोजा रहा है। लेकिन, मौजूदा समय लखनऊ एयरपोर्ट सोने और सिगरेट की तस्करी का सबसे बड़ा अड्‌डा बन गया है। पिछले 10 महीने यानी 300 दिन में सोने की तस्करी में 72 लोगों पकड़ा गया है। इनके पास से करीब 43 किलो सोना मिला है। वहीं, पिछले 90 दिनों में सिगरेट की तस्करी में 110 लोगों को पकड़ा गया है। इस दौरान सोने और सिगरेट के तस्करों से 36 करोड़ रुपए का माल बरामद हुआ है।

सभी दावों और सख्ती के बाद भी तस्करी नहीं रुक रही है। लखनऊ से 8 देशों के लिए सीधे हवाई सेवा है। साल-2016 में इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन सुविधा के साथ-साथ एयरपोर्ट पर तस्कर भी सक्रिय होते जा रहे हैं।

मई 2023 से अब तक 27 करोड़ रुपए का सोना पकड़ा
मई 2023 से 2 अप्रैल तक 72 मौके आए जब सोने की तस्करी पकड़ी गई है। इस दौरान 43 किलो सोना बिना कस्टम और जीएसटी दिए ही दूसरे देशों से भारत में लाने की तैयारी थी, जिसको पकड़ा जा सका है। मौजूदा समय बाजार में इस सोने की कीमत करीब 27 करोड़ 9 लाख 55 हजार 833 रुपए है। बड़ी बात यह है कि सभी सोना खाड़ी देशों से लाया गया था। लाने वाले ज्यादातर लोग यूपी रामपुर के टांडा, बिहार और राजस्थान के हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस समय एयरपोर्ट पर बिहार और राजस्थान दो राज्यों के तस्कर सक्रिय हैं। इसमें पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और गोरखपुर होते माल बिहार जाता है। जबकि आगरा और यमुना एक्सप्रेस-वे होते माल राजस्थान पहुंच रहा है।

60 लाख सिगरेट पकड़ी गई, आज भी 5 तस्कर पकड़े गए
सोने के साथ-साथ सिगरेट की तस्करी भी बढ़ी है। गुरुवार को बैंकॉक से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचे 5 यात्रियों के बैग से सिगरेट की डिब्बी बरामद हुई। इनमें 2 लाख 12 हजार 400 सिगरेट थी। कस्टम के मुताबिक, इसकी कीमत 36 लाख 10 हजार 800 रुपए है। ऐसे में पिछले तीन महीने में करीब 60 लाख सिगरेट पकड़ी गई है। 3 महीने में बरामद सिगरेट की वैल्यू करीब 8 करोड़ 88 लाख रुपए आंकी गई है। इसमें कुछ विदेशी सिगरेट और गोल्ड फ्लैक ब्रांड शामिल है। इनके माध्यम से भी कस्टम की चोरी होती है। इसमें विदेशी ब्रांड वाली सिगरेट इंडिया में बेचने की अनुमति नहीं है। बड़ी बात यह है कि पकड़े जाने के बाद यह लोग नियम की जानकारी न होने का बहाना बना देते हैं।