SC ने GST एक्ट के तहत नोटिस-गिरफ्तारियों का डेटा मांगा:कहा- लोगों का उत्पीड़न नहीं होने देंगे, उन्हें धमकी देकर परेशान किया जाता है

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से GST एक्ट के तहत 1 से 5 करोड़ रुपए के डिफॉल्ट के लिए जारी किए गए नोटिस और गिरफ्तारियों का डेटा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि कभी-कभी गिरफ्तारियां नहीं की जाती हैं, लेकिन लोगों को नोटिस जारी करके, गिरफ्तारी की धमकी देकर परेशान किया जाता है।

कोर्ट ने गुरुवार (2 मई) को GST एक्ट, कस्टम एक्ट और PMLA के प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि हम नागरिकों की आजादी छीनने से बचाने के लिए दिशा-निर्देश तय कर सकते हैं, लेकिन उनका उत्पीड़न नहीं होने देंगे।

अधिकारियों पर लगा शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप
दरअसल, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि GST एक्ट के तहत अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं। गिरफ्तारी नहीं की जाती है, लेकिन लोगों को नोटिस जारी करके गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है। यह लोगों की स्वतंत्रता को कम कर रहा है।

इस पर जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंदरेश और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि सभी मामलों में लोगों को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सकता है। बेंच ने कहा कि धोखाधड़ी के मामलों और अनजाने में हुई चूक के बीच अंतर होना चाहिए।

केंद्र ने कहा- राज्यों से जुड़ा डेटा इकट्ठा करना मुश्किल
कोर्ट ने जीएसटी एक्ट की धारा 69 में गिरफ्तारी की शक्तियों पर स्थिति साफ न होने पर चिंता जाहिर की। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि वह सेंट्रल GST एक्ट के तहत नोटिस और गिरफ्तारियों से जुड़ा डेटा इकट्ठा करेंगे।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों से संबंधित ऐसी जानकारी इकट्ठा करना मुश्किल होगा, लेकिन वह अगली सुनवाई के दिन बेंच के सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।

2017 में लागू हुआ था GST
GST यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक इनडायरेक्ट टैक्स है। इसे वैराइटी ऑफ प्रीवियस इनडायरेक्ट टैक्स (VAT), सर्विस टैक्स, परचेज टैक्स, एक्साइज ड्यूटी और कई इनडायरेक्ट टैक्स को रिप्लेस करने के लिए 2017 में लागू किया गया था। GST में 5, 12, 18 और 28% के चार स्लैब हैं।