अस्पतालों में बेडों को लेकर मची मारामारी से मरीज परेशान, हरियाणा सरकार ने तलब की रिपोर्ट

कोरोना के चलते अस्पतालों में बेडों को लेकर मची मारामारी पर  हरियाणा सरकार एक्शन में आई है। सरकार ने इस मामल में रिपोर्ट तलब की है। मुख्य सचिव विजय वर्धन ने सभी उपायुक्तों से दो दिन में सभी सरकारी और निजी अस्पतालों तथा मेडिकल कालेजों में दाखिल कोरोना मरीजों की स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। इसमें बताना होगा कि अस्पतालों में भर्ती कितने मरीज गांवों के हैं और कितने शहर के। दूसरे प्रदेशों के कितने मरीज उपचाराधीन हैं। उपायुक्तों को निर्धारित फार्मेट में हर अस्पताल में उपलब्ध सामान्य बेड, आक्सीजन बेड, आइसीयू बेड और वेंटीलेटर सहित अन्य संसाधनों का विस्तृत ब्योरा रिपोर्ट में देना होगा।

मुख्य सचिव ने सभी जिला उपायुक्तों को और वेंटीलेटर सहित तमाम संसाधनों की रिपोर्ट देने को कहा

हरियाणा में संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में बेडों की कमी हो गई है। आलम यह है कि कई अस्पतालों ने बाहर सूचना चिपका दी है कि यहां बेड खाली नहीं हैं। इससे मरीजों को बेडों के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं। प्रदेश में एक लाख से ज्यादा संक्रमित घर पर ही (होम आइसोलेट) कोरोना को हराने की जिद्दोजहद में जुटे हुए हैं। सरकारी रिपोर्ट की मानें तो सिर्फ दस से 15 हजार संक्रमित ही ऐसे हैं, जो गंभीर हैं और उन्हें बेड की आवश्यकता है। इसके उलट हर रोज बेडों की संख्या बढ़ने के बावजूद भी स्थिति जस-की-तस बनी हुई है। खासकर प्राइवेट अस्पतालों में बेडों का संकट है।

अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों के साथ ही दूसरे प्रदेशों के उपचाराधीन मरीजों की भी देनी होगी जानकारी

ऑक्सीजन आपूर्ति का सिस्टम भी गड़बड़ाया हुआ है। सरकारी दावों के अनुसार प्रदेश में आक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में है। इसके बावजूद प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत है। कई प्राइवेट अस्पताल निर्धारित कोर्ट से ज्यादा आक्सीजन की मांग कर रहे हैं, जबकि पोर्टल पर बेडों की संख्या का सही ब्योरो नहीं दे रहे हैं। इससे ऑक्सीजन आवंटन का सिस्टम बिगड़ रहा है। खासकर एनसीआर और जीटी रोड बेल्ट पर ऑक्सीजन की मांग हर रोज बढ़ रही है। आखिर आक्सीजन की डिमांड बेडों की संख्या के मुताबिक है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए सरकार ने अस्पतालों में उपचाराधीन मरीजों की रिपोर्ट तलब की है।