महाराष्ट्र बंद को देवेंद्र फडणवीस ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद बताया, कहा- हाईकोर्ट ले संज्ञान

राज्य के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी द्वारा आहूत महाराष्ट्र बंद को राज्य प्रायोजित आतंकवाद करार दिया है। उन्होंने इसे राज्य सरकार का ढोंग बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार आने से बाद से 2000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। राज्य में तूफान, बारिश एवं बाढ़ के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इस सरकार ने अभी तक उन्हें एक पैसे की मदद नहीं की है। और उत्तर प्रदेश की एक घटना को लेकर यहां बंद का आह्वान किया जा रहा है। इस सरकार को शर्म आनी चाहिए। इसमें राज्य की सरकार और महानगरपालिका प्रशासन की मिलीभगत है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने और बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस प्रकार के बंद पर प्रतिबंध लगाया है। हम मांग करते हैं कि हाईकोर्ट इसका संज्ञान ले।

बरसात और बाढ़ पीड़ित किसानों की मदद कीजिए

हम इस प्रकार बुलाए गए बंद की निंदा करते हैं, और सरकार से अपील करते हैं कि आपमें थोड़ी भी शर्म बाकी हो, तो महाराष्ट्र के बरसात और बाढ़ पीड़ित किसानों की मदद कीजिए। उसके बाद इस प्रकार का कोई काम कीजिए। फडणवीस ने आरोप लगाया कि देश में ऐसा पहली बार देखा गया कि कोई राज्य सरकार बंद बुलाने का फैसला राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कर रही हो। उनके अनुसार पुलिस, जीएसटी एवं बिक्रीकर अधिकारियों की मदद से लोगों को डराकर बंद कराया जा रहा है।

ध्यान हटाने की कोशिश

महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने भी प्रेस से बात करते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी में घटित घटना का कोई भी समर्थन नहीं करेगा। लेकिन इसे अवसर बनाकर राज्य की महाविकास आघाड़ी द्वारा बुलाया गया बंद किसानों के प्रति सहानुभूति नहीं, बल्कि राज्य में पिछले पंद्रह दिनों से राजनीतिक नेताओं पर पड़ रहे आयकर विभाग के छापों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश मात्र है। पाटिल के अनुसार कोरोना के कारण राज्य की जनता पहले से ही त्रस्त है। ऐसे में इस प्रकार बंद बुलाना जनमत के विरुद्ध है। सर्वोच्च न्यायालय पहले ही कह चुका है कि लोगों पर इस तरह का बंद थोपा नहीं जा सकता। इसीलिए भाजपा की व्यापार आघाड़ी इस बंद के खिलाफ न्यायालय में गई है।