जानिए ऑलिव ऑयल से जुड़े 7 झूठ और उनका सच!

कई रेस्ट्रां और घरों में ऑलिव ऑयल यानी ज़ैतून के तेल का उपयोग होता है। खासतौर पर शेफ की यह पहली पसंद होती है क्योंकि इससे खाने का स्वाद और पोषण दोनों में सुधार आता है। हालांकि, भारतीय बाज़ारों में यह कुछ खास लोकप्रीय नहीं है। इसके पीछे कारण है इससे जुड़े कई मिथक। डाइट में ज़ैतून के तेल को शामिल करना न सिर्फ बेहद फायदेमंद साबित होता है बल्कि यह खाने के स्वाद को भी बेहतर बनाता है। ऐसे में इससे जुड़ी झूठी बातों के पीछे का सच जानना ज़रूरी है।

ज़ैतून के तेल की शुद्धता का इसके रंग से कोई लेना-देना नहीं है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप अच्छी गुणवत्ता वाला ज़ैतून का तेल खरीद रहे हैं, हमेशा अच्छे ब्रैंड और सुपरमार्केट से ही खरीदें।

ज़ैतून के तेल को गर्म करने से इसके पोषण मूल्यों में किसी भी तरह का असर नहीं पड़ता है।

जैतून का तेल गुड फैट्स (MUFA, PUFA), एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और इसमें जीरो ट्रांस-फैट/कोलेस्ट्रॉल होता है। एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल कई तरह के ज़ैतून के तेल का एक प्रकार है, कोल्ड प्रेस्ड होने के साथ इसमें शरीर के लिए आवश्यक विटामिन भी होते हैं। भले सभी तरह के ज़ैतून के तेलों में कैलोरी की मात्रा लगभग समान होती है, लेकिन ज़ैतून के तेल में कैनोला और वनस्पति तेलों की तुलना में काफी कम कैलोरी होती है।