उत्तर प्रदेश में सत्ता वापसी की जोरदार तैयारी में लगे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहीं पर भी कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुके अखिलेश यादव के सपने में भगवान श्रीकृष्ण अब रोज आ रहे हैं, इसी के साथ ही उनका आठ या नौ को अयोध्या में श्रीराम लला के दर्शन करने का भी कार्यक्रम तय हो गया है। अखिलेश यादव ने साफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ ली है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इन दिनों ‘नई हवा है, नई सपा है.’ का नारा बुलंद करते मठ-मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं। उनकी इस नई राजनीतिक यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव रामनगरी अयोध्या होगी। यह इस कारण भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह पहली बार वह रामलला के दर्शन भी कर सकते हैं। आठ व नौ जनवरी को प्रस्तावित अयोध्या के दो दिवसीय दौरे में उनका रात्रि प्रवास भी है। उनके रामलला के दर्शन की प्रबल संभावना इसलिए भी है, क्योंकि भाजपा लगातार राम मंदिर का मुद्दा उछालकर सपा के लिए कठघरा बनाने के प्रयास में है तो अखिलेश भी ‘साफ्ट हिंदुत्व’ की राह पर तेजी से कदम बढ़ाते जा रहे हैं।
बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष संगठन की कमान संभालने के बाद अखिलेश ने अपनी रणनीति को पूरी तरह बदला है। ध्रुवीकरण की किसी भी धार को कुंद करने के प्रयास में वह साफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़े हुए हैं, ताकि सपा की धर्मनिरपेक्षता वाली छवि को भी किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। यही वजह है कि पिछले वर्ष जनवरी में चित्रकूट के लक्ष्मण पहाड़ी मंदिर गए और कामदगिरि की परिक्रमा भी की। पिछले महीने रायबरेली जाते समय हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की और रविवार को लखनऊ में भगवान परशुराम के मंदिर में पूजन किया। माना जा रहा है कि इसी रणनीति के तहत अब अयोध्या जा रहे हैं। विस्तृत कार्यक्रम अभी जारी नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि सपा अध्यक्ष समाजवादी विजय रथ यात्रा से अयोध्या पहुंचेंगे और जिले के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों से गुजरते हुए जनसभाएं भी करेंगे।
मेरे भी सपने में आते हैं श्रीकृष्ण’
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य की पार्टी अध्यक्ष को लिखी गई चिट्ठी पर तंज करते हुए कहा कि मेरे भी सपने में श्रीकृष्ण आते हैं और कहते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद बन रही समाजवादी सरकार प्रदेश में रामराज्य लाने का काम करेगी। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि कई जगह की मैंने तस्वीर देखी है, चाउमिन के ठेलों पर भी जन विश्वास यात्रा से ज्यादा भीड़ होती है।