बगीचा सुनकर मन में फूलों की छवि बनती है?:अगर नहीं तो आप उन 5% लोगों में, जो काल्पनिक छवि नहीं बना पाते

जब भी आपको किसी नजारे या चीज की कल्पना करने के लिए कहा जाता है, तो आपके मन में एक छवि घूम जाती है। यदि आपके सामने फिल्म ‘शोले’ का जिक्र हो तो क्या आपकी नजरों के सामने अमजद खान के डायलॉग ‘कितने आदमी थे’ वाला दृश्य घूम जाता है? या फूलों का बगीचा सुनते ही आपके दिमाग में लाल-सफेद गुलाब के बगीचे की छवि बनने लगती है?

दुनिया में 2% से 5% ऐसे लोग हैं, जो ऐसी कल्पना या मानसिक छवि नहीं बना पाते। इस स्थिति को अफैंटेसिया कहा जाता है। यानी, इससे पीड़ित व्यक्ति उस चीज की छवि नहीं बना पाते, जो उनके सामने मौजूद न हो। ये लोग मानसिक रूप से किसी भी चीज की कल्पना करने में असमर्थ होते हैं।

अफैंटेसिया पीड़ित यादों की मानसिक छवि बनाने में कमजोर

न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया है कि अफैंटेसिया आपकी याद रखने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। कॉग्निशन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, अफैंटेसिया से पीड़ित लोगों के जीवन में घटनाओं की यादें तो रहती हैं, लेकिन वे उनका विस्तार नहीं कर पाते। यह नई जानकारी न केवल इस बीमारी के बारे में नया खुलासा करती है, बल्कि याददाश्त में मानसिक छवि बनाने की अहम भूमिका को भी उजागर करती है।

अब तक के शोध से यह पता चला था कि अफैंटेसिया पीड़ित लोग पिछले घटनाक्रम याद करते समय या भविष्य की संभावित घटनाओं के बारे में सोचते समय मानसिक छवि नहीं बना पाते। इसलिए वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या अफैंटेसिया के मरीजों की याददाश्त भी घटती है? इसके लिए वैज्ञानिकों ने अफैंटेसिया से पीड़ित 30 लोगों और इतने ही सामान्य लोगों पर नजर रखी।

मरीज पुरानी घटनाओं काे याद रखने में सक्षम

सभी लोगों से विभिन्न मानसिक छवियों के बारे में पूछा गया। इसमें अतीत के घटनाक्रमों को याद करना भी शामिल था। शोधकर्ताओं ने पाया कि अफैंटेसिया पीड़ित कम मानसिक छवि बना पाते हैं। हालांकि, उनकी स्थान संबंधी मानसिक छवि बनाने की क्षमता सामान्य प्रतिभागियों की तरह ही थी।

याद रखने की क्षमता घटने के बारे में ज्यादा जानने के लिए शोधकर्ताओं ने सभी लोगों की उस जानकारी की पड़ताल की, जो उन्होंने शोध से पहले दी थी। टीम ने पाया कि पीड़ित लोगों ने अतीत और भविष्य की संभावित घटनाओं के बारे में सामान्य लोगों की तुलना में कम जानकारी दी थी। उन्होंने दृश्य संबंधी विवरण भी कम लिखे। हालांकि, दोनों समूह की सूंघने, सुनने, विचार या भावनाओं संबंधी जानकारी में कोई अंतर नहीं था।

मानसिक छवि न होने से भावनात्मक जुड़ाव नहीं बढ़ पाता

स्टडी बताती है कि मानसिक छवि से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है। अफैंटेसिया पीड़ित अपने अनुभवों से वे भावनाएं तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन मानसिक छवि के जरिए उनका भावनात्मक जुड़ाव नहीं बढ़ पाता है। हालांकि, स्टडी बताती है कि मानसिक छवि बनाना ही सबकुछ नहीं है। अफैंटेसिया पीड़ित अतीत की घटनाओं काे याद कर पाने में सक्षम होते हैं, यह उपलब्धि भी कम नहीं है।