सियासी संकट के बीच गहलोत का ‘मास्टर स्ट्राेक’:खुद को कर्मचारी हितैषी दिखाया, हाईकमान को भी गुडगवर्नेंस का मैसेज

ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संदेश दिया है कि वो कर्मचारियों और उनके परिजनों के प्रति समर्पित व संवेदनशील है। शुक्रवार को गहलोत ने एक आदेश से 31,463 संविदाकर्मियों को नियमित कर दिया।

राजस्थान में पिछले एक माह से चल रहे सियासी संकट के बीच गहलोत के इस फैसले के कई मायने हैं। उन्होंने खुद को कर्मचारी हितैषी तो दर्शाया ही, हाईकमान को भी मैसेज दिया कि राजस्थान में उनके नेतृत्व में सरकार गुड गर्वनेंस पर काम कर रही है।

गहलोत यह भी बताना चाह रहे हैं कि वे सीएम रहते इस तरह के निर्णयों से अगले विधानसभा चुनाव में सरकार को रिपीट करा सकते हैं।

25 सितंबर को राजस्थान में सीएम बदलने के मुद्दे को लेकर बुलाई गई विधायक दल की बैठक के पैरेलल मीटिंग करने और प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत इस्तीफों का घटनाक्रम हुआ था।

इस बीच यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी बयान दिया था कि गहलोत की जनहितकारी योजनाओं के दम पर ही सरकार रिपीट हो सकती है।

राजस्थान में जारी राजनीतिक अस्थिरता के माहौल और उसमें भाजपा द्वारा संविदाकर्मियों को नियमित करने के मुद्दे को उठाए जाने के बीच यह बड़ा फैसला माना जा रहा है। गहलोत के इस दांव से न सिर्फ उन्होंने पार्टी के भीतर बल्कि विरोधी पार्टियों में भी यह मैसेज दिया है कि वे जनहित के फैसले लेने में देरी नहीं करते।

अभी सप्ताह भर पहले ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने गहलोत को खुला पत्र लिखा था और उनकी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए थे। पूनिया ने इस संबंध में शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला की अध्यक्षता में गठित केबिनेट सब-कमेटी द्वारा अब तक कुछ नहीं किए जाने का आरोप भी लगाया था। तब डॉ. कल्ला ने भास्कर को बताया था कि उनकी कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देने वाली है। अंतरिम सिफारिशें तो की भी जा चुकी हैं। उनकी सिफारिशों के आधार पर ही सीएम ने यह फैसला किया है। 31 हजार से अधिक संविदाकर्मियों को एक साथ नियमित करने का पिछले दो दशक में यह बड़ा फैसला है।

20 हजार संविदाकर्मी और होंगे नियमित

सूत्रों के अनुसार अभी करीब 20 हजार संविदाकर्मी और नियमित किए जाएंगे। कार्मिक विभाग अंतरिम रिपोर्ट पर अभी कवायद कर रहा है। इसमें चिकित्सा और पंचायतीराज विभाग के संविदाकर्मी शामिल होंगे। फिलहाल विभागीय सूत्रों का कहना है कि 20 हजार संविदाकर्मी ऐसे हैं, जिनके शैक्षणिक, कार्य अनुभव, आयु, प्रशिक्षण आदि से जुड़ा कोई विवाद नहीं है। ऐसे में इन्हें नियमित किए जाने का काम आसानी से हो जाएगा।

सबसे लंबी हड़ताल हुई थी पहले कार्यकाल में

अशोक गहलोत जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे 1998 में तब वे सख्त प्रशासक माने जाते थे। उनके उस कार्यकाल में कर्मचारियों ने राजस्थान के इतिहास की सर्वाधिक लंबी हड़ताल भी की थी। पहली बार कर्मचारियों के दो महीने का वेतन काटा गया था।

हाल ही सीएम ने जयपुर में पत्रकारों को कहा था कि तब हमारी सरकार ने बहुत अच्छे काम किए थे। लेकिन कर्मचारी नाराज रहे। उन्होंने सरकार के खिलाफ काम किया और 2003 में हमारी सरकार चली गई।

सात महीने पहले लागू की थी पुरानी पेंशन स्कीम

गहलोत ने करीब सात महीने पहले पेश किए बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम (ओल्ड पेंशन स्कीम-ओपीएस) लागू की थी। इसकी पूरे देश में चर्चा हुई। राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ और पंजाब ने भी यह अपनाई है। कई सरकारें अध्ययन कर रही हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम को कैसे लागू किया जाए? ऐसे में अब गहलोत द्वारा विधानसभा चुनावों से ठीक एक वर्ष पहले 31,463 संविदाकर्मियों को नियमित करने का फैसला भी पूरे देश में चर्चित होगा, क्योंकि सभी राज्य सरकारों के सामने यह बहुत बड़ा मुद्दा है और लाखों मतदाताओं को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाला है।

चार लाख से ज्यादा हैं संविदाकर्मी

राजस्थान में सात लाख स्थाई राज्य कर्मचारियों के अलावा करीब 4 लाख संविदाकर्मी कार्यरत हैं। सबसे ज्यादा संविदाकर्मी महिला व बाल विकास विभाग में हैं। इस विभाग में इनकी संख्या एक लाख 60 हजार हैं। इसके बाद चिकित्सा, शिक्षा और पंचायत राज विभाग में संविदाकर्मियों की संख्या सर्वाधिक है। इन विभागों में लगभग ढाई लाख संविदाकर्मी कार्यरत हैं।

वेतन-मानदेय बहुत कम

संविदाकर्मियों को हमेशा चिंता, तनाव और शोषण के माहौल में काम करना पड़ता है। हमेशा एक तलवार उनके भविष्य पर लटकती रहती है कि न जाने सरकार उनको कब हटा दें। सामान्यत: 10 से अधिकतम 25 हजार रुपए तक मानदेय मिलता है, जबकि स्थायी होने पर करीब 25-30 हजार रुपए प्रतिमाह चतुर्थ श्रेणी और तृतीय श्रेणी में कार्यरत सबसे निचले पदों पर कार्यरत कर्मचारियों का होता है।

हाल ही ओडीशा बना पहला राज्य

अभी सप्ताह भर पहले ही ओडीशा देश का पहला राज्य बन गया, जो संविदाकर्मियों की समस्या को हल कर सका है। उड़ीसा में सभी संविदाकर्मियों को एक ही आदेश से नियमित कर दिया गया है। उड़ीसा में चुनाव अभी चार वर्ष दूर हैं, लेकिन वहां के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सभी संविदाकर्मियों को नियमित कर दिया है।

बेरोजगारों को भी उम्मीद

मुख्यमंत्री गहलोत के इस कदम से बेरोजगार शिक्षकों में भी उम्मीद की किरण जाग गई है। हाल ही शिक्षक भर्ती (रीट) के तहत लेवल-2 के पदों को 31,500 से घटाकर 25,500 कर दिए गए हैं। जयपुर सहित प्रदेश भर में युवा इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। अब उनमें उम्मीद जागी है कि संभवत: मुख्यमंत्री गहलोत उनके हित में भी पदों को फिर से बढ़ाकर 31,500 करेंगे।