कोविशील्ड की पहली डोज के 12 सप्ताह तक बनती है एंटी बॉडी, जानें रोहतक PGI विशेषज्ञ की सलाह

Covishield: रोहतक पीजीआइ के विशेषज्ञों ने काेरोना से बचाव के लिए कोव‍िशील्‍ड वैक्‍सीन को बेहद कारगर बताया है। उन्‍होंने वैक्‍सीन और उसकी डोज के बारे में भ्रांतियों को दूर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि य‍दि कोविशील्‍ड वैक्‍सीन की दूसरी डोज 42 दिन बाद नहीं लगी है तो घबराने की जरूरत नहीं है। काेविशील्‍ड की पहली डोज लेने के 12 सप्‍ताह तक शरीर में एंडी बाडी बनता है।

पहली डोज के 42 दिन बाद दूसरी डोज नहीं लगी तो घबराने की जरूरत नहीं

विशषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए वैक्सीन काफी प्रभावी साबित हो रही है। पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की कोविशील्ड और हैदराबाद के भारत बायोटेक की को-वैक्सीन के परिणाम बेहतर सामने आए हैं। जिस भी व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं, उनमें 70 से 80 फीसद में कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं रहता। 20 से 30 फीसद कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन वो भी गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचते।

अभी तक की स्टडी में यही सामने आया है, लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद भी एहतियात बरतने की सलाह दी जाती है। खास बात यह है कि जो लोग पहली डोज ले चुके हैं और दूसरी डोज का छह से आठ सप्ताह का समय बीत चुका है, उनको भी घबराने की जरूरत नहीं है। नए अध्ययन में सामने आया है कि चार से छह सप्ताह के बजाय जिन लोगों को दूसरी डोज 12 सप्ताह बाद लगी है, उनमें एंटी बॉडी ज्यादा बनी है।

कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज के बाद दूसरी डोज के लिए किए 12 से 16 सप्ताह

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोटोकाल के मुताबिक कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज के 42 दिन बाद दूसरी डोज लेनी है, लेकिन निर्धारित अवधि में दूसरी डोज नहीं लगी तो उनमें संशय की स्थिति है। पहली डोज उनके शरीर में असरदार होगी या नहीं। ऐसे लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। पहली डोज के 12 सप्ताह तक शरीर में एंटी बॉडी बनती है। खास बात देखने को यह मिली है कि जिन लोगों में चार से आठ सप्ताह में एंटी बॉडी बनी, उनसे कहीं ज्यादा 12 सप्ताह तक दूसरी डोज नहीं लेने वालों में एंटी बॉडी देखने को मिली है। इसलिए अब दूसरी डोज के लिए मारामारी करने की जरूरत नहीं है।

पहली डोज से ही बनने लगती है एंटी बॉडी, दूसरी को बूस्ट करती है : डा. वर्मा

रोहतक के पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पीजीआइएमएस) में सीनियर प्रोफेसर एवं को-वैक्सीन ट्रायल के को-इंवेस्टीगेटर डा. रमेश वर्मा ने इस बारे में बताया कि पहले प्रोटोकॉल के हिसाब से वैक्सीन की पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी डोज देने का फैसला लिया गया था। लेकिन बाद में पहली और दूसरी डोज में छह से आठ सप्ताह का अंतर किया गया।

उन्‍होंने कहा कि अब 12 से 16 सप्ताह का समय किया गया है। यह इसलिए किया गया है कि पहले चार, फिर छह और आठ सप्ताह में पहली डोज के बाद बनी एंटी बॉडी से ज्यादा 12 सप्ताह बाद तक एंटी बॉडी बनी है। पहली डोज से ही एंटी बॉडी बनना शुरू हो जाती है, दूसरी को बूस्टर का काम करती है।

वैक्सीन के बाद संक्रमित होने पर जल्द होती है रिकवरी

डा. रमेश वर्मा का कहना है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद कोरोना संक्रमित होने का खतरा 70 से 80 फीसद कम हो जाता है। 20 से 30 फीसद संक्रमित हो भी हाते हैं तो वे गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचते। हालांकि अभी तक इसका डाटा तो नहीं आया है।

उन्‍हाेंने कहा कि उदाहरण के तौर पर पीजीआइएमएस में उनके अलावा, डा. ध्रुव चौधरी, डा. वीके कत्याल सहित अन्य चिकित्सक व हेल्थ केयर वर्कर्स कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन जल्दी रिकवर कर गए। कोई भी गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचा। माइल्ड या माडरेट लक्षण आए थे, जो दवा खाने से सामान्य हो गए। को-वैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही बेहतर हैं और दोनों के परिणाम अच्छे आ रहे हैं।