Arthritis Tips: अर्थराइटिस से अपने घुटनों को बचाना है, तो आज से ही शुरू करें ये 3 काम

घुटनों का अर्थराइटिस सबसे आम तरह का ऑस्टियोअर्थराइटिस है। जो 80 फीसदी मामलों में ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए ज़िम्मेदार होता है। दुनियाभर में 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। कई लोगों के लिए घुटनों के ऑस्टियोअर्थराइटिस का मतलब घुटनों में तेज़ दर्द होता है, जिसकी वजह से वे रोज़मर्रा के काम नहीं कर पाते। कई बार लोग अर्थराइटिस का पता चलने के बाद से एक्टिविटी कम कर देते हैं। जिससे उनकी तकलीफ और बढ़ जाती है।

ऐसा हड्डियों की सेहत के बारे में कम जानकारी की वजह से होता है। अपने घुटनों को अर्थराइटिस के जाखिम से बचाने के लिए आप जो बेस्ट काम कर सकते हैं, वह यह है कि फिज़िकल एक्टिविटी को बंद न करें।

उम्र के साथ अर्थराइटिस से अपने घुटनों को बचाने के लिए बता रहे हैं 3 टिप्स, ताकि आपका शरीर चलता रहे और आपको बड़ी सर्जरी की ज़रूरत न पड़े।

1. कुल्हों और कोर को मज़बूत करें

आपके घुटनों का जोड़ ठीक कुल्हों और कोर के नीचे होता है। रिसर्च में पता चलता है कि अगर आपका पैरों के ऊपरी हिस्सों पर आपका कंट्रोल नहीं है, तो इसका दबाव घुटनों पर पड़ता है। आपके पैरों की ऊपरी मांसपेशियों की मज़बूती कुल्हों और कोर के ताकत पर निर्भर करती है। इसलिए अपने कुल्हों और घुटनों की मज़बूती पर काम करें, ताकि अर्थराइटिस के लक्षणों को कम किया जा सके।

2. घुटनों को लचीला बनाने पर काम करें

शरीर को लचीला बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज़ ज़रूरी है। खासतौर पर घुटनों के लिए यह फायदेमंद होगा। घुटनों को लचीला बनाए रखने से उनमें ताकत और मज़बूती आती है। अगर आप घुटनों का ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग नहीं करेंगे, तो इससे अकड़न आ जाएगी और आपकी मुश्किलें बढ़ेंगी। अर्थराइटिस उम्र के साथ होने वाली समस्या है, जिससे ज़्यादातर लोग गुज़रते हैं। हालांकि, अगर आप मूवमेंट बनाए रखते हैं, तो अर्थराइटिस में भी आप ज़्यादा तकलीफ से बच सकते हैं।

3. एक्टिविटी को बनाए रखें

आमतौर पर जब लोगों को अर्थराइटिस होता है, खासतौर पर जब दर्द होता है, तो उन्हें लगता है कि एक्टिविटी को रोक देने से उनके घुटनों को आराम मिल सकता है। जबकि यह सच नहीं है, इस पर हुए हज़ारों शोध से यही फैक्ट सामने आया है कि एक्टिविटी कम कर देने से अर्थराइटिस स्थिति को और खराब कर देता है। जब आप एक्टिव रहते हैं, तो आपके शरीर में रक्त का प्रवाह सही रहता है, घुटने लचीले रहते हैं और मांसपेशियां मज़बूत बनती हैं। इसलिए अर्थराइटिस को मैनेज करने के लिए एक्टिविटी बनाए रखना बेहद ज़रूरी हो जाता है। अर्थराइटिस को गंभीर बनने से रोकने के लिए एक्सरसाइज़ और जोड़ों को मज़बूत बनाना बेहद ज़रूरी है।