हरियाणा में फैल रहा है अवैध कालोनियों का जाल, शहरों में बुरा हाल, ग्रीन बेल्ट में भी काट दिए प्लाट

हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में अवैध कालोनियों का जाल फैल रहा है। स्थानीय प्रशासन और भू-माफिया की मिलीभगत से शहरों में रोजाना औसतन एक अवैध कालोनी कट रही है। पिछले छह वर्षों में जहां भू-माफिया ने औसतन हर महीने 32 अवैध कालोनियां काटी थी, वहीं पिछले साल कोरोना का फायदा उठाते हुए हर महीने 48 से अधिक अवैध कालोनियां बसा दी गईं। यहां तक कि ग्रीन बेल्ट में भी प्लाट काट दिए गए। कुछ स्थानों पर ग्रीन बेल्ट में होटल तक बन गए हैं।

वर्ष 2014 से 2019 तक काटी गईं 2337 अवैध कालोनियां, पिछले साल 586 कालोनियां बसी

वर्ष 2014 से 2019 तक प्रदेश में कुल 2337 अवैध कालोनियां काटी गईं। इन अवैध कालोनियों में से केवल 1436 में बने निर्माण में ही तोडफ़ोड़ की कार्रवाई हुई है। बाकी कालोनियों में अवैध निर्माण हटाने को लेकर क्या कार्रवाई हुई, इसका ब्योरा महकमे के पास नहीं है। पिछले साल भी कुल 586 अवैध कालोनियां सरकार ने चिन्हित की थी जिनमें से 557 में तोडफ़ोड़ की कार्रवाई चली, 29 कालोनियां ऐसी रह गईं जिनमें कोई कार्रवाई नहीं हुई। गुरुग्राम-फरीदाबाद जैसे बड़े शहरों तक में प्लाटिंग हुई है।

सिर्फ 1436 अवैध कालोनियों में हुई तोडफ़ोड़, 905 मामलों में पुलिस ने दर्ज किए केस

बीते छह वर्षों की बात करें तो प्रदेश में हर साल 389 से अधिक अवैध कालोनियां सामने आईं। यानी, हर महीने राज्य के विभिन्न शहरों में 32 से अधिक कालोनी काटी गई हैं। जनवरी 2014 से दिसंबर 2019 तक सरकार ने 2432 कारण बताओ नोटिस जारी किए। इस अवधि में 2278 मामलों में पुनस्र्थापना आदेश जारी किए गए। कुल 5401 एकड़ भूमि में कटी 1436 कालोनियों में अवैध निर्माणों को ढहाया गया। कुल 905 एफआइआर दर्ज हुईं।

प्रदेश सरकार ने विगत नवंबर में अर्बन एरिया डेवलपमेंट एक्ट के नियम-7ए में संशोधन किया है। इसके बाद प्रदेशभर के शहरों एवं कस्बों में इस तरह की कालोनियों के प्लाटों की रजिस्ट्री पूरी तरह से बंद हो गई है। ऐसे में अब वे लोग फंस गए हैं, जिन्होंने यहां प्लाट खरीदे। अब न तो वे प्लाट पर निर्माण कर सकते हैं और न ही इन्हेंं बेच सकते हैं।

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कहते हैं कि अवैध तरीके से कालोनियों काटने वाले भूमाफिया पर हमारी पैनी नजर है। प्रदेश में एक भी अवैध कालोनी को पनपने नहीं दिया जाएगा। सरकार ने नियम-7ए में बदलाव भी इसलिए किया है। अभी तक अवैध कालोनियां काटने के जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें सख्त कार्रवाई की गई है।