पिता महावीर यादव साल 2003 में जम्मू कश्मीर में देश की रक्षा में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे और आज कोरोना महामारी के कारण देश पर विपदा है तो बेटी योद्धा के रूप के फ्रंट पर रहकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रही है। पिछले एक साल से वह कोरोना महामारी में कभी सैंपङ्क्षलग में तो कभी कोविड वार्ड में, कभी इमरजेंसी में तो कभी फ्लू कार्नर में निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी कर रही हैं।
हम बात कर रहे हैं, नागरिक अस्पताल की चिकित्सक दीक्षा यादव की। डा. दीक्षा यादव फिलहाल इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं और नागरिक अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों की जांच और उपचार का काम कर रही हैं। सड़क हादसा हो या दूसरा कोई कारण, अगर कोई गंभीर मरीज अस्पताल में आता है तो हर कोई अपने कदम यह सोचकर पीछे खींच लेता है कि कहीं मरीज कोरोना संक्रमित न हो लेकिन डा. दीक्षा यादव समेत उसका स्टाफ अपने फर्ज को निभाते हुए उसे प्राथमिक उपचार देते हैं। उसके बाद उसका सही उपचार शुरू किया जाता है। हालांकि जब डा. दीक्षा ने ज्वाइन किया, तभी कोरोना महामारी की शुरूआत हो गई थी, लेकिन अपनी जान तक की परवाह न करते हुए डा. दीक्षा अपनी ड्यूटी के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम कर रही हैं।
कभी-कभी तो खड़े-खड़े निकल जाती है छह घंटे की ड्यूटी
डा. दीक्षा यादव बताती हैं कि इमरजेंसी में ड्यूटी के दौरान कई बार ऐसे हालात बने हैं कि छह घंटे की ड्यूटी खड़े-खड़े ही मरीजों के उपचार में निकल जाती है। पानी पीने तक का भी समय नहीं निकल पाता। एक मरीज को उपचार देते ही, दूसरा मरीज आ जाता है। नार्मल ओपीडी भी देखनी और उसके बाद एक्सीडेंट या सीरियस केस भी देखने पड़ते हैं। 35 से 40 डिग्री तापमान के दौरान भीषण गर्मी में डा. दीक्षा पीपीई किट पहन अपनी ड्यूटी कर रही हैं।
अपने ही घर में रह रही अलग
डा. दीक्षा ने बताया कि कोरोना महामारी से खुद को और परिवार को सुरक्षित रखने की खातिर घर में प्रवेश से पहले खुद को सैनिटाइज करती हैं। अपने ही घर में अलग रह रही हैं। कोरोना की शुरूआत में तो घर वालों से वीडियो कॉल के जरिए ही बात करती थी। घर वालों से मिल नहीं पाती थी। डा. दीक्षा ने इमरजेंसी के अलावा, फील्ड सर्वे, मोबाइल टीम, सैंपलिंग, फ्लू कार्नर में भी ड्यूटी की है।
आर्मी में डॉक्टर बनने का था टारगेट : डा. दीक्षा
डा. दीक्षा का टारगेट आर्मी में डॉक्टर बनने था लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए उसने जींद के नागरिक अस्पताल मे ज्वाइन किया। यहां पर लोगों की सेवा में जुटी हैं। डा. दीक्षा का कहना है कि जब तक महामारी पर काबू नहीं पाया जाता, तब तक वह यहीं पर ड्यूटी करेंगी। अपने पिता से देश सेवा की प्रेरणा लेकर वह मरीजों की सेवा में जुटी हैं।